Friday, September 28, 2012

माता वैष्णोदेवी यात्रा - भाग २ (बाण गंगा से चरण पादुका)


मित्रों जय माता की. इस यात्रा वृत्तान्त को शुरुआत से पढ़ने के लिए क्लिक करे...(माता वैष्णोदेवी यात्रा-भाग १ (मुज़फ्फरनगर से कटरा - KATRA VAISHNODEVI)


हम लोग कटरा से थ्री व्हीलर के द्वारा बाण गंगा से पहले दर्शनी दरवाजे पर पहुँच जाते है. टेम्पो यंही तक ही आते हैं. यंहा से पैदल यात्रा शुरू हो जाती हैं. सबसे पहले हमने एक एक डंडा ख़रीदा. १० - १० रूपये में एक डंडा मिल जाता हैं. वापसी में ये डंडा ५ रूपये में ले लेते हैं. पहाड़ पर चढाई करते समय सपोर्ट के लिए डंडा बहुत जरुरी होता हैं. उतरते समय भी डंडा जरुरी होता हैं. पैरों में कैनवस के जूते या फिर स्पोर्ट्स जूते होने चाहिए. चप्पल आदि में चढाई करने में मुश्किल आती हैं. यदि बारिश का मौसम हो तो एक रेनकोट या फिर यंहा पर बीस बीस रूपये में पोलीथीन के बने रेन कोट मिलते हैं. यंही ऊपर से दर्शनी दरवाजे के दर्शन होते हैं. दर्शनी दरवाजा संगमरमर का बना हुआ एक बहुत ही शानदार द्वार हैं. यंही से माता वैष्णोदेवी की पैदल यात्रा शुरू होती हैं. यंहा पर तीर्थ यात्रियों का सामान भी चेक होता हैं. और तलाशी ली  जाती हैं. यात्रियों को एक स्कैनर से होकर के गुजरना पड़ता हैं. यंहा से आगे कई भी यात्री वीडियो कैमरा, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, ताश, आदि सामान नहीं ले जा सकता हैं. डिजिटल कैमरा, वाकमैन  आदि आप लोग आगे ले जा सकते हो. एक बात समझ में नहीं आती हैं कि, कोई भी व्यक्ति डिजिटल कैमरे से वीडियो बना सकता हैं, फिर वीडियो कैमरा क्यों बैन हैं.

ऊपर से दर्शनी द्वार के दर्शन


माता वैष्णो देवी तीर्थ स्थान पर प्रबंधन ओर श्रद्धालुओ की सुविधाए हेतु भारत सरकार ने एक बोर्ड बनाया हुआ हैं. जिसे श्री माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड कहा जाता हैं. इस बोर्ड ने तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं के लिए स्थान - स्थान पर यात्री निवास, और भोजन की सुविधाए उपलब्ध कराई हुई हैं. ऐसी सुविधाए और प्रबंधन हमारे और किसी भी तीर्थ पर उपलब्ध नहीं हैं. काश ऐसी सुविधाए हमारे सभी तीर्थ स्थानों पर हो जाए तो ये देश स्वर्ग बन जाए. 
मनौती की चुन्दरिया 
दर्शनी द्वार से पहले ये एक बहुत लंबी लोहे की जाली की दीवार हैं. इस पर माता के दर्शन से वापिस आते हुए लोग मनौती के रूप में चुंदरी बांधते  हैं. दूर दूर तक बंधी हुई चुन्दरिया बहुत ही सुन्दर दिखती हैं.

दर्शनी द्वार 
आप देख ही रहे हैं कि आगे दर्शनी द्वार, पीछे बादलों से ढंके हुए पर्वत.

यात्रा से पहले 
दर्शनी द्वार का एक ओर दृश्य
पहाड़ी पर बनता हुआ मंदिर


ऊपर पहाड़ी पर जिस मंदिर को आप देख रहे हैं, इसे हम लोग बचपन से बनते हुए देख रहे हैं. पता नहीं कब होगा ये पूरा. ये मंदिर कटरा में ही एक पहाड़ी पर स्थित हैं.

जय माता की 
ऊपर लोहे कि जालियो की  दीवार पर चुन्दरिया व नीचे घांस के ऊपर सुन्दर "जय माता की " घांस के द्वारा ही उकेरा हुआ हैं. 

पत्थरो पर बना हुआ नक्शा 
दर्शनी द्वार के बाद और बाण गंगा से पहले एक दीवार पर माता वैष्णो देवी की यात्रा का पूरा नक्शा बनाया हुआ हैं.

हम लोग पवित्र बाण गंगा पर पहुँच जाते हैं. बहुत से लोग यंहा पर स्नान करके आगे बढते हैं. हमने भी अपने हाथ, पैर, मुह धोया. माना यह जाता हैं की माता वैष्णोदेवी जब भैरो  देव से छिप कर के आगे बढ़ रही थी तो हनुमान जी भी उनके साथ साथ थे. हनुमान जी को बड़ी जोर की प्यास लगी, उन्होंने मैय्या से कंहा, माता मुझे बड़ी जोर की प्यास लगी हैं. माता ने अपने धनुष बाण के एक तीर को चलाकर के धरती से एक जल का एक स्रौत उत्पन्न किया. उस जल से ही हनुमान जी ने अपनी प्यास बुझाई. इसी जल के स्रौत को ही बाण गंगा कहा जाता हैं. बाण गंगा की जल में अनगिनत सुन्दर मछलिया भी तैरती रहती हैं. बहुत से श्रद्धालु उन्हें आटे की गोलिया खिलाते हैं. बाण गंगा का निर्मल शीतल जल बहुत ही स्वच्छ दीखता हैं, ऐसा लगता हैं की जैसे दूध की नदी बह रही हो.

बाण गंगा में स्नान 

बाण गंगा मंदिर 
यंही पर बाण गंगा जी का मंदिर भी बना हुआ हैं. आप देखिये जब में फोटो ले रहा था तो पुजारी जी भी स्टायल में आ गए थे.

बाणगंगा एक झरने के रूप में 

एक चित्र मेरा भी 
आप लोग देखियेगा, कितना निर्मल, कितना शीतल, कितना पवित्र जल हैं बाण गंगा का. यंहा पर बाण गंगा को एक झरने का रूप दे दिया गया हैं. और उसके आगे स्नान करने के लिए एक कुंड बना दिया गया हैं.

यंही से पैदल रास्ता और सीढ़ियों का रास्ता शुरू हो जाता हैं. वृद्ध और कमजोर, रोगी व्यक्ति को सीढ़ियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. उनके लिए यंहा पर घोड़े, व पालकी उपलब्ध हो जाती हैं. बच्चो व सामान के लिए पिट्ठू उपलब्ध हैं. उन सबका रेट फिक्स होता हैं. पिट्ठू या घोडा तय करने के बाद उनका कार्ड पर जो नाम व नंबर होता हैं उसे अपने पास नोट करके रख लेना चाहिए. कोई बात होने पर श्राइन बोर्ड के कंट्रोल रूम में उनकी शिकायत दर्ज की जा सकती हैं.

थोड़ा सा ही आगे बढ़ने पर हमें माता वैष्णोदेवी गुरुकुल दिखाई दिया. गुरुकुल की सजावट की हुई थी. गुरुकुल का वार्षिक उत्सव चल रहा था. इस गुरुकुल में सैंकडो ब्रह्मचारियो को वैदिक संस्कृति, वेद - पुराणों आदि की शिक्षा दी जाती हैं. यह गुरुकुल एक विशाल इमारत में स्थित हैं. और इसका प्रबंधन माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड द्वारा ही किया जाता हैं.

चरण पादुका से पहले मार्ग में गुरुकुल 
गुरुकुल से आगे बढते ही थोड़ी ही दूर पर श्री गीता भवन मंदिर आता हैं. यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत बना हुआ हैं. इसके अंदर माता वैष्णोदेवी की शेर पर सवार मूर्ति स्थापित हैं. मंदिर के बाहर एक ओर महा बली पवन पुत्र श्री हनुमान जी की पर्वत उठाये हुए मूर्ती स्थापित हैं. दूसरी और भगवान भोले नाथ, परम  पिता परमेश्वर श्री महादेव की मूर्ति स्थापित हैं.

श्री गीता भवन मंदिर
जय श्री हनुमान जी 

हर हर महादेव 
थोड़ा सा ओर आगे बढते ही चरण पादुका मंदिर आ जाता हैं. इस मंदिर को श्री माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड ने दुबारा से पुराने मंदिर की जगह नया बनवाया हैं. मंदिर बहुत ही विशाल बना हुआ हैं. मंदिर के अंदर बैठने की बहुत स्थान हैं. इस मंदिर में माता वैष्णोदेवी के चरण चिन्ह स्थापित हैं. कहा जाता हैं कि भैरव नाथ से बचते हुए जब माता आगे बढ़ रही थी तो इस स्थान पर खड़े होकर के माता ने पीछे मुड़कर के देखा था कि भैरव नाथ आ रहा कि नहीं. इस स्थान पर रुकने के कारण माता के चरण चिन्ह यंहा पर स्थापित हो गए थे. इसी कारण से इस स्थान को चरण पादुका कहा जाता हैं. जो भी भक्त श्रद्धा भाव के साथ यंहा पर मत्था टेकता हैं, माता वैष्णोदेवी उसकी सभी मुरादे पूरी करती हैं. चरण पादुका बाण गंगा से  १.५ किलोमीटर पर स्थित हैं. समुद्र तल से ऊँचाई ३३८० फीट हैं. 

चरण पादुका मंदिर 
मंदिर में लिखा हुआ इतिहास 
चरण पादुका मंदिर पर थोड़ी देर विश्राम किया जा सकता हैं. यंहा पर आस पास थोड़ा बहुत नाश्ता पानी भी किया जा सकता हैं. 

माता की पवित्र मूर्ती 
चरण पादुका से थोड़ा सा आगे ही यह छोटा सा खूबसूरत भगवान शिव का मंदिर आता हैं. यंहा पर मत्था टेक कर हम लोग आगे बढ़ जाते हैं..

चरण पादुका के पास शिव मंदिर 


चरण पादुका पर थोड़ी देर रुकने के बाद हम लोग आगे अर्ध कुंवारी के लिए आगे बढ़ जाते हैं...

आगे का वृत्तान्त जानने के लिए क्लिक करे....(माता वैष्णोदेवी यात्रा - भाग ३ (चरणपादुका से माता का भवन)

जय माता की.