Saturday, August 22, 2020

MYSURU TRAVELL - 8 - TIPUSULTAN TOMB & VRINDAVAN GARDEN

MYSURU TRAVELL - 8 - TIPUSULTAN TOMB & VRINDAVAN GARDEN

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सेंट् फिलोमिना चर्च से हम लोग मैसूर से १५ किलोमीटर दूर श्रीरंगपट्टन आ गए. श्री रंग पट्टन कभी मैसूर राज्य की राजधानी रहा हैं. यंहा पर श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर हैं जो की भगवान् विष्णु को समर्पित हैं. रंगनाथ स्वामी के नाम पर ही इस नगर का नाम पड़ा हैं. यंहा पर टीपू और हैदर अली जिन्होंने कभी यंहा पर शासन किया हैं उनका मकबरा भी हैं. जिसे गुम्बज भी कहा जाता हैं. यह 20मीटर ऊँची इमारत मुख्य रूप से टीपू सुल्तान, उनके माता-पिता, फ़ातिमा बेग़म और हैदर अली की कब्रगाह है। टीपू सुल्तान के अनेक रिश्तेदारों व खास लोगों को भी यहाँ दफनाया गया। इस मकबरे की छत पर ग्रेनाइट लगा है, दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी है और मैसूर पर हैदर अली व टीपू सुल्तान के शासनकाल को दर्शाते 36 ग्रेनाइट के स्तंभ हैं।



एक ऊँची सतह पर निर्मित यह 220 वर्ष पुराना किला, भारतरय-इस्लामिक वास्तुकला शैली को दर्शता है। हाथीदाँत से बने गुंबज के सुंदर आबनूस लार्ड डलहौजी द्वारा दिए गए थे। श्रीरंगापट्नम पर कब्जा करने के बाद अंग्रेज़ सोने व चाँदी के तीन मुख्यद्वार लंदन ले गए।इस समय वे लंदन के एलबर्ट संग्रहालय में प्रदर्शन के लिए रखे हुए हैं।

गलियारे में भीतरी दीवारों पर लाह बाघ की धारियाँ और एम्फिबोल स्तंभ देखे जा सकते हैं।रंगनाथस्वामी मंदिर और जामा मस्जिद, दोनो स्मारक के परिसर में स्थित हैं। यह जगह एक सुंदर बगीचे के बीच में स्थित है जिसके साथ मस्जिद-ए-अक्स नामक मस्जिद बनी है। 

इस मकबरे को देखने के लिए लोगो की भीड़ थी. जिसमे एक समुदाय के लोग ज्यादा थे. यंहा तक वे लोग यंहा पर पिकनिक मना रहे थे. खाने पीने का सामान लेकर आये थे. और दावत कर रहे थे. कमाल हैं एक मकबरे कब्रिस्तान में पिकनिक. मेरा अन्दर जाने का मन तो नहीं था. पर कुछ फोटो लेने की गरज़ से अन्दर चला गया और फोटो खींचे.


मकबरे का गेट 

सामने मकबरा 

मकबरे के बारे में बताता एक बोर्ड 

मुख्य मकबरा और अन्दर विशेष समुदाय की भीड़ 




मकबरे में सेल्फी लेती एक लड़की 


यहा पर टीपू सुलतान को अंग्रेजो ने गोली मारी थी.

इस सुरंग  से निकल कर टीपू भाग रहा था.
मकबरे में लोगो को  काफी देर हो चुकी थी मुझे मकबरे व गुलामी की निशानिया देखने का कोई शोंक नहीं हैं. मैं बाहर आ कर खड़ा हो गया. बस का गाइड रंगनाथ मंदिर की बजाय अब सीधे वृन्दावन गार्डन जाने के लिए कहने लगा. मेरी उससे बहस भी हुई. पर मैं क्या करता अकेला पड़ गया था. अधिकतर सवारी गार्डन जाने के लिए कहने लगी तो बस का सीधे वही पर जाना तय हो गया. मैं सोचा की मंदिर कल जरुर आउंगा. 

दूर से लिया गया रंगनाथ स्वामी मंदिर का फोटो 

श्रीरंगपट्टन से हम लोग वृन्दावन गार्डन की और चल पड़े. करीब ३० - ३५ किलोमीटर पड़ता है मैसूर से. 

अब कुछ विकिपेडिया से , बृंदावन उद्यान भारत के कर्नाटक राज्य के मैसूर नगर में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह उद्यान कावेरी नदी में बने कृष्णासागर बांध के साथ सटा है। इस उद्यान की आधारशिला १९२७ में रखी गयी थी और इसका कार्य १९३२ में सम्पन्न हुआ।. वार्षिक लगभग २० लाख पर्यटकों द्वारा देखा जाने वाला यह उद्यान मैसूर के मुख्य आकर्षणों में से एक है।

कृष्णाराजासागर बांध को मैसूर राज्य के दीवान  की देखरेख में बनाया गया था। बांध के सौन्दर्य को बढाने के लिए  उद्यान के विकास की कल्पना की जो कि मुग़ल शैली जैसे कि कश्मीर में स्थित शालीमार उद्यान के जैसा बनाया गया। इस उद्यान का कार्य १९२७ में आरंभ हुआ। इसको छ्त्त की प्रणाली के अनुसार बनाया गया और कृष्णाराजेन्द्र छ्त्त उद्यान का नाम दिया गया।. इसके प्रमुख वास्तुकार जी.एच.कृम्बिगल थे जो कि उस समय के मैसूर सरकार के उद्यानों के लिये उच्च अधिकारी नियुक्त थे।. इस उद्यान को कावेरी निरावरी निगम (कावेरी सिंचाई विभाग), जो कि कर्नाटक सरकार का एक उपक्रम है।  यह उद्यान 60 एकड़ (240,000 मी2) क्षेत्रफल में बना है। इसके साथ ही एक फल उद्यान है, जो कि 75 एकड़ (300,000 मी2) क्षेत्रफल में बना है और दो खेत बागवानी के हैं, नागवन (३०एकड़) और चन्द्रवन (५ एकड़) क्षेत्रफल में बने हैं।). यह उद्यान तीन छतों में बना है जिसमें पानी के फव्वारे, पेड़, बेलबूटे और फूलों के पौधे गेंदा, बोगेनबेलिया शामिल हैं। यह उद्यान सामान्य जनता के लिये निःशुल्क खुला रहता है। उद्यान में कर्तनकला(यहाँ झाडियों को जानवरों के आकार में काटकर बनाया गया है।) लता मंडप (विसर्पी पौधों की लताओं से ढका रास्ता) और धारागृह भी स्थित है। लेकिन इस उद्यान का प्रमुख आकर्षण संगीतमय फुव्वारा है, जिसमें पानी की बौछारें संगीतमय गीत की ताल पर झूम उठती हैं। और साथ ही इस उद्यान के अन्दर ही एक झील स्थित है जिसमें पर्यटकों के लिये नाव में सवारी की सुविधा भी उपलब्ध है।. इस उद्यान का पुनर्निर्माण २००५ में हुआ जिसकी लागत करीब ५ करोड़ रुपये आई। इस उद्यान के पुर्ननिर्माण में मुख्यतः संगीतमय फुव्वारे की सजावट शामिल है जिसमें कि संगीतमय फुव्वारे का आधुनिकीकरण और खराब फुव्वारों की मरम्मत शामिल था।. सन २००७ में इस उद्यान को कुछ समय के लिए सुरक्षा कारणों, कावेरी नदी के पानी के विवाद के लिए बंद रखना पड़ा। (साभार: विकिपीडिया)

वृन्दावन गार्डन से पहले पार्किंग थी. बहुत भारी  भीड़ वाहनों की थी. करीब एक किलोमीटर चलकर गार्डन के गेट पर पहुंचे. भारी  भीड़ थी. करीब आधा घंटा टिकट लेने में लग गया. गार्डन से पहले बाज़ार पड़ता हैं. जिसमे खाने पीने की दुकाने व एंटिक पीस की दुकाने थी. आगे चलकर एक लंबा पुल आता  हैं. जिसके दोनों और जलाशय थे, जिसमे लोग बोटिंग कर रहे थे. भीड़ के कारण हम लोग पसीना पसीना थे. ऐसा लग रहा था कि कंहा फस गए. खैर धीरे  धीरे अन्दर पहुंचे और कुछ संगीतमय फव्वारों का आनंद लिया या कहो झेला...

गार्डन का गेट 

जलाशय में बोटिंग 

संगीतमय फव्वारे 


संगीतमय पानी का झरना 





गार्डन रात के समय 



गार्डन में पुल व जलाशय 

गार्डन देखते हुए रात के समय में भी पसीने से लथपथ हो चुका था. भारी  उमस थी. मैं जल्दी ही निकलकर बाहर आ गया. भारी भीड़ होने के कारण से सारा घुमने का मज़ा  किरकिरा हो चुका था. कम से कम २ से ३ हज़ार कारे व बसे आयी हुई थी.  कभी भी भीड़ के समय यंहा पर मत आये. शाम को भारी भीड़ हो जाती हैं. इससे अच्छा इसे दिन में देखे. गार्डन हमारा दिन भर का आखिरी डेस्टिनेशन था. बहुत थक चुके थे. गाडी वापिस मैसूर की और चल पड़ी थी करीब ९ बजे गाडी ने मुझे अपनी लॉज के बाहर उतार दिया. थोडा बहुत खा पीकर मैं अपने रूम पर आकर सो गया. इससे आगे का यात्रा वृत्तान्त पढने के लिए क्लिक करे..(MYSURU TRAVELL - 9 - NANJANGUD)

MYSURU TRAVELL - 7 - SCENT FILOMINA CHURCH

MYSURU TRAVELL - 7 - SCENT FILOMINA CHURCH

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मैसूर पैलेस से निकलने के बाद हम लोग सेंट फिलोमिना चर्च पर पहुंचे. यह चर्च भारत का सबसे बड़े चर्च में हैं. बहुत बड़ा, और बहुत शानदार. किसी भी चर्च में सर पर टोपी पहनकर नहीं जा सकते हैं इसलिए चर्च में घुसने से पहले टोपी उतरवादी गयी. चर्च में रेनोवेशन का काम चल रहा था. इसलिए ज्यादा फोटो नहीं ले पाया. अन्दर के फोटो लेना बैन था. इसलिए अन्दर के फोटो नहीं ले पाया.

सेंट फिलोमेना चर्च

जर्मनी के कोलोन कैथेड्रल (उत्तरी राइन-वेस्टफेलिया में स्थित) के आधार पर नियो-गॉथिक शैली में निर्मित, सेंट फिलोमेना चर्च को एशिया में दूसरा सबसे बड़ा चर्च माना जाता है। मसीह के जन्म, अंतिम भोज, उनको सूली पर चढ़ाये जाने, पुनः जी उठने और मसीह के स्वर्ग में जाने को उजागर करने वाली प्रतिष्ठित कांच की खिड़कियां, वास्तव में काफी आकर्षक हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में सेंट पैट्रिक चर्च की याद दिलाने वाले चर्च की स्थापत्य शैली के साथ मीनार 53 मीटर ऊंचे हैं। हर मीनार में 12 फुट लंबा क्रॉस है। चर्च के खंभों को फूलों की नक्काशी से सजाया गया है। संगमरमर की वेदी में सेंट फिलोमेना की एक मूर्ति है, जिसे फ्रांस से भारत लाया गया था। इसमें एक समय में लगभग 800 लोग अंदर जा सकते हैं।

चर्च 1840 में बनाया गया था, और इसने मैसूर के शासक महाराजा कृष्णराज वोडेयार IV के शासन (1894-1940) में लोकप्रियता हासिल की। इसका निर्माण शुरू में यूरोपीय लोगों के छोटे समुदाय की आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए किया गया था जो उस समय मैसूर में बस गए थे। हालाँकि, जैसे-जैसे समुदाय बढ़ने लगा, एक बड़े चर्च की आवश्यकता महसुस हुई, और सेंट फिलोमेना का विस्तार किया गया। ऐसा माना जाता है कि इसे डेली नाम के फ्रांसीसी कलाकार ने डिजाइन किया था। (साभार: https://www.incredibleindia.org)

सेंट् फिलोमिना चर्च - MYSURU

ST. JOSEF STATUE - MYSURU



ST. FILOMINA STATUE 

सन्मार्ग - चर्च के अन्दर एक भवन 



चर्च के बाहर मैं - MYSURU

खुबसूरत चर्च 
चर्च में कुछ समय बिताने के बाद हम लोग श्रीरंग पट्टन की और निकल पड़े. यह नगर मैसूर से १५ किलोमीटर हैं. यंहा पर हमें टीपू सुलतान का मकबरा व रंगनाथ स्वामी का मंदिर  देखना था. इससे आगे का वृत्तान्त पढने के लिए क्लिक करे (MYSURU TRAVELL - 8 - TIPUSULTAN TOMB & VRINDAVAN GARDEN)



MYSURU TRAVELL - 6 - CITY PALACE IN DAY LIGHT

MYSURU TRAVELL - 6 - CITY PALACE IN DAY LIGHT

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चामुंडी हिल्स पर माता के दर्शन करने के बाद हम लोग मैसूर पैलेस पर आ गए. कल मैसूर पैलेस मैंने रात के समय देखा था. रविवार के दिन रात के समय रौशनी की गयी थी उस समय देखने का अलग ही आनंद था. अब दिन के समय महल को देखने का अलग ही मज़ा हैं. महल के बारे में मै पहले के पोस्ट में बहुत कुछ बता चुका हूँ.  इस पोस्ट को पढने के लिए क्लिक करिए  "(MYSURU TRAVELL - 2 - MYSURU PALACE IN NIGHT)" इसमें आप लोग दिन के समय लिए गए चित्रों का आनंद लीजिये.

MAIN GATE OF MYSURU PALACE 

TEMPLE IN MYSURU PALACE 

MAIN GATE INSIDE - MYSURU PALACE 

MYSURU PALACE

MYSURU PALACE 

MYSURU PALACE 

ANOHTHER GATE - MYSURU PALACE 

MYSURU PALACE 

MYSURU PALACE 

IN FRONTE OF MYSURU PALACE 

मैसूर पैलेस के सामने दृश्य 


मैसूर पैलेस दरबार हाल 

मैसूर पैलेस दरबार हाल 

मैसूर पैलेस दरबार हाल 

मैसूर पैलेस 








मैं महल के अन्दर नहीं गया था. भीड़ बहुत ज्यादा थी. देखकर ही जी घबरा गया था. ऊपर से जूते  उतारने पड़ रहे थे. महल देखकर बाहर आ गए. अभी अधिकतर लोग बाहर नहीं आये थे. बाहर आकर बस के पास खड़ा हो गया. यंही से सामने दीखते JSS महा विद्यालय की तस्वीर ली.

मैसूर पैलेस के सामने JSS महाविद्यालय 

मैसूरू का एक दृश्य 

मेन  चौराहा 
महल से निकल कर बस में बैठकर हम लोग अपने अगले स्थान सेंट फिलोमिना चर्च की और चल दिए. यंहा से आगे का यात्रा वृत्तान्त पढने के लिए क्लिक करिए ...(MYSURU TRAVELL - 7 - SCENT FILOMINA CHURCH)