MYSURU TRAVELL - 7 - SCENT FILOMINA CHURCH
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मैसूर पैलेस से निकलने के बाद हम लोग सेंट फिलोमिना चर्च पर पहुंचे. यह चर्च भारत का सबसे बड़े चर्च में हैं. बहुत बड़ा, और बहुत शानदार. किसी भी चर्च में सर पर टोपी पहनकर नहीं जा सकते हैं इसलिए चर्च में घुसने से पहले टोपी उतरवादी गयी. चर्च में रेनोवेशन का काम चल रहा था. इसलिए ज्यादा फोटो नहीं ले पाया. अन्दर के फोटो लेना बैन था. इसलिए अन्दर के फोटो नहीं ले पाया.
सेंट फिलोमेना चर्च
जर्मनी के कोलोन कैथेड्रल (उत्तरी राइन-वेस्टफेलिया में स्थित) के आधार पर नियो-गॉथिक शैली में निर्मित, सेंट फिलोमेना चर्च को एशिया में दूसरा सबसे बड़ा चर्च माना जाता है। मसीह के जन्म, अंतिम भोज, उनको सूली पर चढ़ाये जाने, पुनः जी उठने और मसीह के स्वर्ग में जाने को उजागर करने वाली प्रतिष्ठित कांच की खिड़कियां, वास्तव में काफी आकर्षक हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में सेंट पैट्रिक चर्च की याद दिलाने वाले चर्च की स्थापत्य शैली के साथ मीनार 53 मीटर ऊंचे हैं। हर मीनार में 12 फुट लंबा क्रॉस है। चर्च के खंभों को फूलों की नक्काशी से सजाया गया है। संगमरमर की वेदी में सेंट फिलोमेना की एक मूर्ति है, जिसे फ्रांस से भारत लाया गया था। इसमें एक समय में लगभग 800 लोग अंदर जा सकते हैं।
चर्च 1840 में बनाया गया था, और इसने मैसूर के शासक महाराजा कृष्णराज वोडेयार IV के शासन (1894-1940) में लोकप्रियता हासिल की। इसका निर्माण शुरू में यूरोपीय लोगों के छोटे समुदाय की आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए किया गया था जो उस समय मैसूर में बस गए थे। हालाँकि, जैसे-जैसे समुदाय बढ़ने लगा, एक बड़े चर्च की आवश्यकता महसुस हुई, और सेंट फिलोमेना का विस्तार किया गया। ऐसा माना जाता है कि इसे डेली नाम के फ्रांसीसी कलाकार ने डिजाइन किया था। (साभार: https://www.incredibleindia.org)
सेंट् फिलोमिना चर्च - MYSURU |
ST. JOSEF STATUE - MYSURU |
ST. FILOMINA STATUE |
सन्मार्ग - चर्च के अन्दर एक भवन |
चर्च के बाहर मैं - MYSURU |
खुबसूरत चर्च |
चर्च में कुछ समय बिताने के बाद हम लोग श्रीरंग पट्टन की और निकल पड़े. यह नगर मैसूर से १५ किलोमीटर हैं. यंहा पर हमें टीपू सुलतान का मकबरा व रंगनाथ स्वामी का मंदिर देखना था. इससे आगे का वृत्तान्त पढने के लिए क्लिक करे (MYSURU TRAVELL - 8 - TIPUSULTAN TOMB & VRINDAVAN GARDEN)
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