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Monday, March 6, 2023

BHAI DHARMSINGH GURUDWARA SAIFPUR - HASTINAPUR - 5

BHAI DHARMSINGH GURUDWARA SAIFPUR - HASTINAPUR - 5

इससे पहले का यात्रा वृत्तान्त पढने के लिए क्लिक करे...(HASTINAPUR - PANDAV MANDIR & SHAKTIPEETH - 4)

हस्तिनापुर से थोड़ी सी ही दूर गाँव सैफ् पुर पड़ता है. यह गाँव गुरु गोविन्द सिंह के पांच प्यारो में से एक भाई धर्म सिंह का जन्मस्थान हैं. गाँव थोडा सा अन्दर की और पड़ता हैं. गाँव तक सड़क बनी हुई हैं. गाँव के बिलकुल अन्दर जाकर के गुरुद्वारा पड़ता हैं.


भाई धरम सिंह गुरूद्वारा, सैफपुर में स्थित है जो हस्तिनापुर से 2.5 किमी. की दूरी पर पड़ता है। इसे भाई धरम सिंह की याद में बनवाया गया था, जो सिक्‍खों में पांच श्रद्धेय गुरूओं या पंज प्‍यारे में से एक थे। गुरू ने अपने शिष्‍यों में से उन पांच लोगों का नाम पूछा जो उनके कारण अपना आत्‍म - बलिदान करने को तैयार हो जाएं। इन पांच लोगों को ही पहले समूह में सिक्‍ख के वफादारों के रूप में जाना जाता है। इन्‍ही पांच स्‍वंयसेवकों में से एक धरमसिंह भी थे। भाई धरम सिंह मूलत: जट समुदाय के थे। उनका नाम धरम दास था। वह भाई संतराम और माई साबो के पुत्र थे, जिनका जन्‍म सैफपुर - करमचंद, हस्तिनापुर में 1666 में हुआ था। यह संत बेहद धार्मिक व्‍यक्ति थे। उन्‍होने सिक्‍ख धर्म को उस समय से पेश किया जब वह मात्र 13 वर्ष के थे। उन्‍होने अपने जीवन का अधिकाश: भाग ज्ञान प्राप्‍त करने की खोज में लगा दिया। 42 साल की उम्र में 1708 में उनका देहावसान गुरूद्वारा नानदेव साहिब में हो गया था। भाई धरम सिंह गुरूद्वारा को सिक्‍ख समुदाय में सबसे पवित्र केंद्रों में से एक माना जाता है।
गुरुद्वारे का मुख्य द्वार 

भाई धर्म सिंह के बारे में बताता हुआ पट 

भाई धर्मसिंह गुरुद्वारा 

गुरुद्वारे के अन्दर 

गुरुद्वारे में थोडा समय बिताने के बाद हम लोग अपने मुज़फ्फरनगर की और निकल पड़े. आसमान में बादल छाये हुए थे. कभी भी बारिश हो सकती थी यह यात्रा वृत्तान्त यंही समाप्त होता हैं. सब भाइयो और बहनों को राम राम, वन्देमातरम