Tuesday, June 23, 2020

MA BALA SUNDRI SIDH PEETH - माँ बाला सुन्दरी - देवबंद

MA BALA SUNDRI SIDH PEETH - माँ बाला सुन्दरी - देवबंद 

माता बालासुन्दरी सिद्धपीठ देवबंद में स्थित है. जो की सहारनपुर जनपद का एक क़स्बा हैं. मुज़फ्फरनगर से २५ किलोमीटर और सहारनपुर से ४० किलोमीटर पड़ता हैं. मैं हर नवरात्रि में इस सिद्धपीठ में माता के दर्शन के लिए अवश्य जाता हूँ. इस बार भी मैं हिमांशु को साथ लेकर बाइक से देवबंद पहुँच गया. और माता के दर्शन किये.

बाला सुन्दरी सिद्धपीठ 

मां श्री त्रिपुर बाला शक्ति पीठ की क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में अलग पहचान है। नवरात्र के शुरुआत से ही यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है।

मां श्री त्रिपुर बाला सुंदरी शक्ति पीठ की स्थापना आदि अनादी काल से पूर्व हुई थी। जहां आज यह शक्ति पीठ विराजमान है, पुराणकाल में यहां घना जंगल था। इस कारण यह देवी वन कहलाता था। उन दिनों पतित पावनी गंगा भी इसी क्षेत्र से होकर बहती थी। देवी कुंड का भी एक अपना अलग ही महत्व है, क्योंकि महाभारत काल में पांड़व भी अपने अज्ञात वास की कुछ अवधि में यहां रुके थे। वीर अर्जुन ने भी इसी दौरान यहीं शक्ति साधना की थी। मां श्री बाला सुंदरी महाशक्ति जगदंबा का एक रूप है। ब्रह्म, विष्णु ओर रूद्र ये तीनों पुर जिसमें समाहित है, वह त्रिपुर मां बाला सुंदरी है। इतना ही नहीं चैत्र मास की चौदस पर यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।

मेले से एक दिन पूर्व आता है आंधी तुफान-

मां श्री त्रिपुर बाला सुंदरी शक्ति पीठ की एक रहस्यपूर्ण बात यह है कि पीठ पर पूजा के मुख्य दिन चैत्र चौदस पर लगने वाले मेले की रात से पूर्व यहां पर आंधी व तूफान आता है तथा भारी वर्षा भी होती है। जिसके संदर्भ में मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित सतेंद्र शर्मा का कहना है कि ऐसा इसलिए होता है कि इस दौरान मां की बहनों का आना जाना होता है। जो सदैव शक्ति पीठ में ही विराजमान रहती हैं।

मां ने भंडसासुर का किया था वध- देवी कुंड का इतिहास में एक अलग ही महत्व है। क्योंकि इसी स्थान पर श्री त्रिपुर मां बाला सुंदरी ने महा दानव भंडसासुर का वध किया था, जो एक 105 ब्रह्मडों का अधिपति था।

देव भूमि का मिले दर्जा- मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित सतेंद्र शर्मा का कहना है कि आज तक भी किसी भी सरकार ने मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए कोई सहायता नहीं की। मंदिर की देखरेख का सारा खर्च मंदिर समिति स्वयं वहन कर रही है। वहीं पंडित गौरव विवेक का कहना है कि प्रदेश सरकार को इसका महत्व समझते हुए देवबंद को देव भूमि का दर्ज दे देना चाहिए।( साभार : दैनिक जागरण )

माता के मंदिर का मुख्य द्वार 


मंदिर के सामने सरोवर 



मंदिर प्रांगण में स्थित गुरु गोरखनाथ मंदिर 
मंदिर प्रांगण का एक दृश्य 
भगवान् शिव रौद्र मुद्रा में 






माता के मंदिर के सामने 


माता के दिव्य दर्शन 








मंदिर के प्रांगन में ही एक संस्कृत विद्यालय स्थित हैं. जिसमे ब्रह्मचारियो को हिन्दू धर्म और कर्मकांड से सम्बंधित शिक्षा दी जाती हैं.

जय श्री हनुमान 
मंदिर को जाने का मार्ग व प्रसाद की दुकाने 



जय हनुमान जी 
मंदिर प्रांगन में स्थित महादेव मंदिर 

और ये मैं...

माता बाला सुन्दरी सिद्ध पीठ 



देवबंद में स्थित साईं बाबा मंदिर 
जय साईं राम 




देवबंद में मुज़फ्फरनगर हाईवे पर साईं बाबा मंदिर
माता के दर्शन के पश्चात् हम लोग थोड़ी ही दूर पर स्थित साईं बाबा के नवनिर्मित मंदिर पहुंचे और बाबा के दर्शन किये. दर्शन करने के बाद मुज़फ्फरनगर लौट गए 

Sunday, June 21, 2020

MUSSOORIE TRAVELL - सुरकंडा देवी एवं धनौल्टी - 4

MUSSOORIE TRAVELL - सुरकंडा देवी एवं धनौल्टी - 4

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एक रात मसूरी में होटल विष्णु पैलेस में और बिताने के बाद हमारा अगला डेस्टिनेशन था माँ सुरकंडा देवी का धाम. हम लोग सुबह ही होटल से नहा धोकर, नाश्ता करके अपनी टमटम में बैठकर माता सुरकंडा देवी के धाम की और चल पड़े. उत्तराखंड गढ़वाल में चन्द्रबदनी देवी, कुंजापुरी देवी, और सुरकंडा देवी, ये तीन शक्तिपीठ तीन अलग चोटियों पर स्थित हैं. 

मसूरी से आगे निकलते ही घने बुरांश के और देवदार के जंगल शुरू हो जाते हैं.  यह क्षेत्र बुरांशखंडा के नाम से भी मशहूर हैं. बुरांश के पेड़ यंहा पर बहुतायत पाए जाते हैं. बुरांश का फूल उत्तराखंड का राजकीय फूल हैं. इससे  जैम, जैली, शरबत, व विभिन्न आयुर्वेदिक दवाए बनायी जाती हैं. इन दिनों उत्तराखंड  की पहाडिया इन फूलो से भरी रहती हैं.

धनौल्टी होते हुए हमारी गाडिया कद्दु खाल पहुँच जाती हैं. कद्दु -खाल  सुरकंडा देवी जाने के लिए बेस हैं. यंही से ही पैदल या घोड़े पर २ किलोमीटर की कड़ी चढाई होती हैं. गाडिया पार्क करके हम लोग चढाई शुरू कर देते हैं. मौसम बहुत ही सुहावना था, ना तो गर्मी थी ना ही ठंडा.
माता के मंदिर का इतिहास 
माँ सुरकंडा देवी का धाम जनपद टिहरी में स्थित हैं. यह स्थान धनौल्टी से आठ  किलोमीटर हैं. चम्बा से बाईस किलोमीटर पड़ता हैं. इस धाम की समुद्र तल से ऊंचाई 2757 मीटर है. माता का धाम इस स्थान की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित हैं. यह स्थान चारों ओर से देवदार के जंगलो से घिरा हुआ हैं. माता के मंदिर से चारो तरफ सुन्दर और हसींन  वादियों का बड़ा सुन्दर दृश्य दिखाई देता हैं. यदि मौसम साफ़ हो तो हरिद्वार, देहरादून, मसूरी, और बर्फ से ढंकी हिमालया की चोटिया साफ़ दिखाई देती हैं. यंहा के बारे मैं ये कहा जाता हैं की जब माता सती, दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे देती हैं. और भगवान शिव उनकी पार्थिव देह को उठा कर ब्रहमांड में घूमते हैं, तो भगवान विष्णु अपने सुदर्शन के द्वारा माता सती के ५१ अंश कर देते हैं,  ये अंश हमारे आर्यावर्त में जंहा जंहा पर गिरे वंही पर शक्ति पीठ की स्थापना भगवान शिव ने की थी. यंहा पर माता का शीश गिरा था. हर शक्ति पीठ में माँ शक्ति के साथ साथ, भगवान शिव के अवतार भैरव भी स्थापित हैं. इन शक्ति पीठो के बारे में कहा जाता हैं की माता अपने भक्तो की सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं. बोलो जय माता की.

ये पर्वतो की वादिया
दूर से ऊपर दिखता माता का मंदिर 

पवित्र मंदिर का रास्ता


मंदिर से दिखती गढ़वाल की घाटिया
एक सुन्दर सा घर 


शिवानी मंदिर के रास्ते में
थक गए बेचारे 
हाय थोड़ी सी चढ़ाई में ये हाल..
मौसम कितना प्यारा है.


सुन्दर घाटिया  


क्या बात कर रहे हो भाई 

अमन और इशांक
माता का पुराना मंदिर

surkanda devi temple
सुरकंडा देवी का नया मंदिर (फोटो साभार: अमरउजाला)


माता के दर्शन के बाद हम लोग नीचे कद्दुखाल में आ गए. कद्दू खाल में एक अच्छा रेस्टोरेंट बना हुआ हैं, उसमे खाना स्वादिस्ट बनता हैं. हम लोगो ने वंही पर खाने का आनंद लिया. खाना खाकर हम लोग धनौल्टी की और निकल पड़े.

धनौल्टी
धनौल्टी एक छोटा सा खूबसूरत, देवदार के जंगलो से घिरा हुआ हिल स्टेशन हैं. शांत, सुरम्य, मन को मोहने वाला, यंहा से दिखाई देने वाली हिमालय की बर्फीली चोटिया, बहुत ही सुन्दर दिखती हैं. यह स्थान भीड़ भाड से दूर, मन को सकून देने वाला स्थान हैं. मसूरी की भीड़ भाड़ से घबराकर जब पर्यटक यंहा पहुँचते हैं. तो उनका दिल खुश हो जाता हैं. यह स्थान मसूरी से काफी सस्ता भी हैं. यंहा के मुख्य आकर्षण यंहा पर स्थित दो इको पार्क हैं. यह पार्क पिकनिक के लिए एक आइडियल स्थान हैं. इस पार्क में घुसने से पहले टिकट लेना पड़ता हैं. एक ओर एक रेस्टोरेंट भी बना हुआ हैं, जिसमे खाने पीने का आनंद लिया जा सकता हैं. इस पार्क में बच्चो के लिए झूले, ओर राईडिंग बनी हुई हैं. जिस पर बच्चे अपना मनोरंजन कर सकते हैं. 

धनौल्टी में मस्ती 
ईको पार्क 








वाह क्या तेवर हैं. 




अरे भाई गाड़ी क्यों ढारे हो.




माल रोड पर मस्ती 
धनौल्टी और सुरकंडा देवी से वापस हम लोग मसूरी आ जाते हैं. और उसी दिन वापस अपने घर मुज़फ्फरनगर लौट जाते हैं.