Monday, May 31, 2021

MATA VAISHNODEVI & PATNITOP - 7

MATA VAISHNODEVI & PATNITOP - 7

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पटनीटॉप से हम लोग जम्मू करीब ६ बजे पहुँच गए. यंहा पर रुकने का हमारा एक ही स्थान हैं, होटल रघुनाथ. सस्ता सुन्दर और रघुनाथ मंदिर व बाजार के पास। इसमें ठहरने व खाने आदि का अच्छा प्रबंध हैं. यह होटल रघुनाथ मंदिर के पास एक गली में हैं. इसके फोटो व इसका पता व नंबर मैं नीचे दे रहा हूँ. इस यात्रा में जम्मू में केवल रघुनाथ मंदिर, रणवीरेश्वर मंदिर, सिक्के वाला मंदिर में घूमे थे. इनके बारे में मैं अपनी पहली की यात्राओं में बता चुका हूँ.

Hotel Raghunath
Address: Opp. Raghunath Temple VIP Gate, Hari Market Road, Jammu, Jammu and Kashmir 180001
Phone: 094193 60711


होटल रघुनाथ जम्मू - HOTEL RAGHUNATH, JAMMU

रघुनाथ होटल का सुन्दर कमरा

बाथरूम

बाथरूम

बाथरूम

सुन्दर लॉबी

रिसेप्शन
झूमर

लॉबी









भगवान् बुद्ध का चित्र

ये नीचे के चित्र मैंने जम्मू की ही अगली यात्रा के डाले हैं.

जम्मू की जामवंत गुफा

यह गुफा तवी नदी के तट पर स्थित है
इस गुफा को पीर खोह गुफा के नाम से जाना जाता है
एक रुद्राक्ष शिवलिंग आज भी इस गुफा में विराजमान है

इन्हीं में से एक है 'जम्मू की जामवंत गुफा'. यह गुफा तवी नदी के तट पर स्थित है. कई पीर, फकीरों और ऋषि-मुनियों के इस गुफा में तपस्‍या करने के कारण इस गुफा को पीर खोह गुफा के नाम से जाना जाने लगा है. यहां के लोगों का मानना है कि यह गुफा देश के बाहर भी कई मंदिरों और गुफाओं से जुड़ी हुई है. मान्‍यता है कि इसी गुफा में जामवंत और भगवान श्रीकृष्ण के बीच युद्ध हुआ था.

जम्मू और कश्मीर के जम्मू नगर के पूर्वी छोर पर एक गुफा मंदिर बना हुआ है जिसे जामवन्त की तपोस्थली माना जाता है. इस गुफा में कई पीर-फकीरों और ऋषियों ने तपस्या की है इसलिए इसका नाम 'पीर खोह' भी कहा जाता है. डोगरी भाषा में खोह का अर्थ गुफा होता है.

कहते हैं कि राम रावण के युद्ध में जामवंत भगवान राम की सेना के सेनापति थे. युद्ध की समाप्ति के बाद भगवान राम जब विदा होकर अयोध्या लौटने लगे तो जामवंत जी ने उनसे कहा प्रभु युद्ध में सबको लड़ने का अवसर मिला परंतु मुझे अपनी वीरता दिखाने का कोई अवसर नहीं मिला. मैं युद्ध में भाग नहीं ले सका और युद्ध करने की मेरी इच्छा मेरे मन में ही रह गई. उस समय भगवान ने जामवंत जी से कहा, तुम्हारी ये इच्छा अवश्य पूर्ण होगी जब मैं कृष्ण अवतार धारण करूंगा. तब तक तुम इसी स्थान पर रहकर तपस्या करो. इसके बाद जब भगवान कृष्ण अवतार में प्रकट हुए तब भगवान ने इसी गुफा में जामवंत से युद्ध किया था.

कहा जाता है जामवंत ने इस गुफा में शिवजी का एक रुद्राक्ष शिवलिंग बना कर शिव की बहुत वर्षों तक तपस्या की. एक रुद्राक्ष शिवलिंग आज भी इस गुफा में विराजमान है और आज भी इस शिवलिंग की पूजा होती है और देश और विदेश से लोग इस जामवंत शिव गुफा के दर्शन के लिए आते हैं.

कहा जाता है एक रुद्राक्ष शिवलंग पूरे भारत में सिर्फ जामवंत गुफा पीर खोह में है और किसी भी जगह नहीं है. इसके बाद जब भगवान कृष्ण अवतार में प्रकट हुए तब भगवान ने इसी गुफा में जामवंत से युद्ध किया था. ये युद्ध लगातार 27 दिन तक चला था.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा सत्यजीत ने सुर्य भगवान की तपस्या की तो भगवान ने प्रसन्न होकर राजा को प्रकाश मणि प्रसाद के रूप में दे दी और राजा का भाई मणि को चुराकर भाग गया पर जंगल में शेर के हमले में मारा गया और शेर ने मणि को निगल लिया. इसके बाद जामवंत ने युद्ध में शेर को हराकर प्रकाश मणि को हासिल कर लिया.

लेकिन जब भगवान कृष्ण पर प्रकाश मणि चुराने का आरोप लगा तो वह अपने सर से इल्जाम उतारने के लिए मणि की तलाश में निकल पड़े और मणि की तलाश में वह जामवंत गुफा तक पहुंच गए और जब भगवन कृष्ण को पता चला की प्रकाश मणि जामवंत के पास है और फिर मणि को लेकर भगवान कृष्ण और जामवंत में युद्ध हुआ था और इस युद्ध में जामवंत हार गया था. हारने के बाद जामवंत ने इस प्रकाश मणि को भगवान कृष्ण को दे दिया था.

कहा जाता है इस जामवंत गुफा की जानकारी सबसे पहले शिव भगत गुरु गोरख नाथ जी को पता चली थी और उन्होंने अपने शिष्ये जोगी गरीब नाथ को इस गुफा की देखभाल करने लिए कहा था और अपने गुरु की आज्ञा के अनुसार वह इस गुफा की देखभाल करने लगे और अपनी धुनि जमा कर बैठ गए. ये भी कहा जाता है कि ये जामवंत गुफा 6 हजार साल से भी अधिक पुरानी गुफा है. कहा जाता है जम्मू कश्मीर के राजा बैरम देव जी ने 1454 ईस्वी से लेकर 1495 ईस्वी के दौरान इस गुफा में मंदिर का निर्माण करवाया था.

इसलिए जम्मू के इस प्राचीन शिव मंदिर को जामवंत गुफा या फिर पीर खोह भी कहा जाता है. पीर खोह तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु मुहल्ला पीर मिट्ठा के रास्ते गुफा तक जाते हैं. इस मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं के मनमोहक चित्र उकेरे गए हैं. आंगन में शिव मंदिर के सामने पीर पूर्णनाथ और पीर सिंधिया की समाधिंया हैं. जामवन्त गुफा के साथ एक साधना कक्ष का निर्माण किया है जो तवी नदी के तट पर स्थित है.

जाम्बवंत गुफा मंदिर 

जाम्बवंत गुफा मंदिर - JAMBVANT GUFA MANDIR - PEER KHO JAMMU 

मुख्य द्वार - जांबवंत गुफा जम्मू 

जांबवंत गुफा 

जांबवंत की गुफा मंदिर से सामने का दृश्य

जांबवंत की गुफा मंदिर से सामने का दृश्य

बाहू किला : शहर से 4 किमी दूर पहाड़ी पर स्थित बाहु किला जम्मू का सबसे पुराना किला है, जो तवी नदी के किनारे स्थित पहाड़ी पर है। राजा बाहुलोचन द्वारा यह किला 3,000 साल पहले बनाया गया था, जो आज भी सही दशा में है। किले के अंदर बने काली मंदिर में मंगलवार तथा रविवार को स्थानीय तीर्थ यात्रियों की भीड़ लगी रहती है। इसके नीचे बागे बाहु उद्यान पिकनिक के लिए उत्तम स्थान है, जहां से सारे शहर को देखा जा सकता है तथा यहां पर की जाने वाली रोशनी हमें एक दूसरी ही दुनिया में ले जाती है। 

बाहु किले का बोर्ड

किले में जाने वाला मार्ग

किले में फव्वारे


बाहु किला

बाहु किला

बाहु किला
काली माता मंदिर बहू किले में बना हुआ है। बहू किला जम्मू शहर, जम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित है। बहू किला जम्मू तवी नदी के किनारे बना हुआ है। यह किला लगभग 3000 साल पहले राजा बहू लोचन द्वारा बनाया गया था। 19वीं सदी में डोगरा शासकों द्वारा इसका नवीनीकरण किया गया था। यह किला एक हिन्दू धार्मिक स्थान है और इसके परिसर में एक मंदिर बना हुआ है जोकि मां काली को समर्पित है। यह मंदिर ‘बावी काली माता मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि लगभग 300 साल पहले मां काली एक पंडित जगत राम शर्मा के सपने में आयी और पहाड़ी की चोटी पर दफन एक पिंडी के रूप में उसकी उपस्थिति के बारे में बात की। खोजने पर एक काला पत्थर मिला था जोकि देवी का प्रतीक माना जाता है, बाद में एक मंदिर उस स्थान पर बनाया गया था।

माता काली मंदिर, बाहू  किला जम्मू 

माता काली - बबरे  वाली माता - जम्मू 

MATA KALI MANDIR- BAHU FORT JAMMU 

यह भी माना जाता है कि यह मंदिर 8वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था। मंदिर में देवी की प्रतिमा को एक 1.2 मीटर ऊंचे मंच पर सफेद संगमरमर से बनाया गया, पर स्थिपित है। मंदिर पुनः निर्माण किया है आज यह मंदिर देखने में आधुनिक लगता है। पहले इस मंदिर में जानवरो की बलि की प्रथा थी परन्तु अब यह प्रथा बन्द कर दी गई है।

काली माता मंदिर में साल में दो बार नवरात्रि त्योहार (मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर) में ‘बहू मेला’ का आयोजन किया जाता है। यह मंदिर बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। काली मंदिर में हफ्ते में दो बार मंगलवार और रविवार को विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।

काली माता मंदिर में रीसस बंदरों का एक बहुत बड़ा समूह रहता है। माना जाता है कि यह समूह जम्मू शहर के सबसे बड़ा समूह होगा। इन बंदरो से यह आये यात्रियों को काफी परेशानी होती है।

मछली घर से

किला और बागे बाहु

बाहू  किले के नीचे बागे बाहू  हैं. यह बहुत ही सुन्दर बगीचा हैं. इसमें सुन्दर फव्वारे व झरने हैं. रात के समय लाइट एंड साउंड शो होता हैं. यंहा के फव्वारे संगीतमय हैं. यह बाग़ ऊपर किले से शुरू होकर नीचे तक जाता हैं. इस बाग़ को बनाने की प्रेरणा वृन्दावन गार्डन मैसूर से ली गयी हैं. यंहा पर किले पर और मछलीघर पर पर्यटकों की बहुत भीड़ होती है 

बागे बाहु, तवी नदी, व जम्मू

बागे बाहु में तरण  ताल 







फव्वारे






फव्वारा, झरना, और मै 

बागे बाहू 

बागे बाहू जाने वाला मार्ग 

बागे बाहु द्वार

बागे बाहु से निकलकर पास में ही नौ देवियो का पुराण मंदिर हैं. इसमें भी दर्शन किये. 

नौ देवी मंदिर

रात के समय में हमारी ट्रैन थी. दिन भर जम्मू घूमने के बाद मुज़फ्फरनगर के लिए रवाना हो गए. माता वैष्णोदेवी, और पटनीटॉप की यात्रा का ये वृत्तांत यही पर समाप्त होता हैं..  यदि कोई गलती लेखन में रह गयी हो तो क्षमा करना। जय माता की। .... 

Sunday, May 23, 2021

MATA VAISHNODEVI & PATNITOP - 6

MATA VAISHNODEVI & PATNITOP - 6

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पटनीटॉप से एक छोटा रास्ता नत्थाटॉप तक जाता है। यह रास्ता सर्दियों में बर्फ से ढक जाता है। यह स्कीइंग और पैराग्लाइडिंग के लिए अच्छी जगह है। 2,711 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नत्थाटॉप से, हिमालय की किश्तवाड़ पर्वत श्रेणी दिखाई देती है। इस श्रेणी में ब्रह्मा श्रेणिआ   है, जिसमें फ्लैट टॉप, अर्जुन और ब्रम्हा I और II की प्रसिद्ध चोटियां शामिल हैं। इन चोटियों के बारे में दिलचस्प बात यह है कि इस नामकरण के विपरीत, ब्रम्हा II सबसे ऊंची चोटी है। हालांकि, ब्रम्हा I निश्चित रूप से सबसे नाटकीय है, जो अपने निचले आधार से पश्चिमी छोर की तरफ नाटकीय रूप से उठी हुई है। इस स्थान के कुछ व्यंजनों का भी आनंद लिया जा सकता है। नत्थाटॉप, पीर पंजाल पर्वत श्रंखला का ऐसा स्थल है; जहां प्रकृति प्रेमियों को ज़रूर जाना चाहिए। साभार: इनक्रेडिबल इंडिया

हम लोग पटनीटॉप से नत्था टॉप की और चल पड़े. यंहा से करीब १३ किलोमीटर दुरी हैं. जैसे ही नत्थाटॉप के लिए यात्रा आरम्भ हुई. सड़क पर कोहरे की चादर छा गयी. पटनीटॉप से नत्था टॉप तक की यात्रा बहुत ही मनोरम और दिल को सकुन  देने वाली थी. साफसुथरी सड़क, नीचे आये हुए बादल, बहुत ही खूबसूरत. नत्था टॉप पहुँचने के बाद देखा की चारो और कोहरा छाया हुआ था. मौसम बहुत ही शानदार हो गया था. कुछ लोग अपनी गाड़ियों में संगीत बजाकर दारु का आनंद ले रहे थे. जबकि उनके साथ उनके घर की स्त्रियाँ और बच्चे भी थे. शोर शराबा कर रहे थे. बहुत ही शर्मनाक,  ये हो चुकी हैं हमारी संस्कृति. खैर हमने उन लोगो को देखकर अनदेखा कर दिया था. हम लोग चाय पीने के लिए एक कैफे में आ गए. चाय पी और मैगी खाई. रेट बहुत ज्यादा थे. २५ रूपये की चाय और ७० रूपये की मैगी. चाय पीकर इधर उधर घूमने लगे और फोटो लिए. हमारा आगे सनासर झील पर भी जाने का कार्यक्रम था पर मौसम खराब हो चूका था, हलकी हलकी फुआर पड़ने लगी थी तो सनासर जाने का प्रोग्राम कैंसिल कर दिया।

नत्था टॉप पहुँच गए 

नत्थाटॉप में लगा सनासर झील का बोर्ड 

क्या मौसम हैं 



चला जाता दूर कंही 

















कैफे और नीचे सड़क 



सनासर झील को जाने वाली सड़क 



दारुबाज मस्ती करते हुए 

पटनीटॉप को जाने वाली सड़क 

नत्थाटॉप में कुछ समय बिताने के बाद हम लोग जम्मू के लिए चल पड़े.  करीब १० - ११ किलोमीटर के बाद कुद  नामक एक छोटा सा कस्बा आता हैं. छोटा हैं पर सुन्दर हैं. यंहा पर मुख्य मार्ग पर बहुत सारे ढाबे हैं इनमे अरोरा स्वीट्स बहुत मशहूर हैं. यंहा का पतीसा मिठाई बहुत मशहूर हैं. यंहा पर हमने खाना खाया और यंहा की प्रसिद्द मिठाई  २ किलो पतीसा खरीदा। शुद्ध देशी घी का बना होता हैं. और कई दिन तक खराब नहीं होता हैं. ५०० रुपए पर किलो का रेट होता हैं. बहुत ही स्वादिष्ट हैं, पर्यटक इसे खरीदकर लेकर जाते हैं. एक मिठाई ड्राई फ्रूट का चूरमा होता हैं वह भी बहुत स्वादिष्ट होता हैं. 

  कुद में एक पार्क भी है। इसे कुद पार्क कहा जाता है। यह पार्क अपने सुंदर फूलों के लिए प्रसिद्ध है। दोस्तों और परिवार के साथ पिकनिक के लिए यह एक बेहतर जगह है। यह एक प्रदूषण-मुक्त स्थल है। यहां आप प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर स्वच्छ पहाड़ी हवा में सांस ले सकते हैं। पर्यटक यहां, पार्क की कच्ची सड़कों पर चहलक़दमी कर सकते हैं और राज्य की प्रसिद्ध स्वादिष्ट पतिसा  मिष्ठान को भी खरीद सकते हैं। कुद पार्क के आस-पास कई होटल और घर हैं। पर्यटक यहां अपने बजट के अनुसार इन विकल्पों में से कोई भी विकल्प चुन सकते हैं।

रास्ते के सुन्दर दृश्य 

असली अरोरा स्वीट्स कुद - ARORA SWEETS KUD - JAMMU

SPECIAL PATISA SWEET - ARORA SWEETS KUD JAMMU 

कुद  का बाज़ार 

एक और अरोरा स्वीट्स 


अरोरा स्वीट्स के नाम से यंहा पर कई भोजनालय हैं. सभी में अच्छा खाना व पतीसा मिठाई मिलती हैं. 

भोजन करके और मिठाई खरीद कर हम लोग जम्मू की और चल पड़े. बारिश शुरू हो चुकी थी शाम ढलने लगी थी और हमें जम्मू भी पहुंचना था. करीब ७ बजे हम लोग जम्मू पहुँच गए... 

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