MYSURU TRAVELL - 5 - CHAMUNDI HILLS
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चिडिया घर से निकलने के बाद हम लोग चामुंडी हिल्स की और चल पड़े. यंहा पर माता चामुंडी का हजारो साल पुराना मंदिर हैं. जो की एक शक्ति पीठ माना जाता हैं. माना जाता हैं की यंही पर माता ने महिषासुर का वध किया था. महिषासुर मर्दिनी के नाम पर नगर का नाम मैसूर पडा. करीब २० - २५ मिनट की चढ़ाई की यात्रा के बाद हम लोग चामुंडी पहाड़ी पर पहुँच जाते हैं. गाडी पार्किंग में पार्क होने के बाद, मंदिर में दर्शन करने के लिए गाइड सबको ४० मिनट का समय देता हैं . इस पहाड़ी पर पूरा कस्बा बसा हुआ हैं. यंहा पर मंदिर के अलावा धर्मशालाए, रेस्टोरेंट, होटल इत्यादि भी हैं. इस पहाड़ी से पुरे मैसूर का मनोरम दृश्य दिखता हैं. मंदिर में जल्दी दर्शन के लिए टिकट मिलता हैं. हमने भी ३० रूपये वाला टिकट लिया और दर्शन के लिए लाइन में लग गए. २ बजे से ४ बजे तक मंदिर बंद रहता हैं. बंद होने में अभी दस मिनट बाकि थे. हमें जल्दी ही देवी माँ की पवित्र मूर्ति के दर्शन हो गए. दर्शन के बाद लड्डू का प्रसाद लिया. दस रूपये का एक लड्डू मिलता हैं. मंदिर में ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं थी. अब कुछ वृत्तान्त विकिपेडिया से...
चामुंडी पहाड़ी
मैसूर से 13 किलोमीटर दक्षिण में स्थित चामुंडा पहाड़ी मैसूर का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। इस पहाड़ी की चोटी पर चामुंडेश्वरी मंदिर है जो देवी दुर्गा को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर देवी दुर्गा की राक्षस महिषासुर पर विजय का प्रतीक है। मंदिर मुख्य गर्भगृह में स्थापित देवी की प्रतिमा शुद्ध सोने की बनी हुई है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक अच्छा नमूना है। मंदिर की इमारत सात मंजिला है जिसकी कुल ऊंचाई 40 मी. है। मुख्य मंदिर के पीछे महाबलेश्वर को समर्पित एक छोटा सा मंदिर भी है जो 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। पहाड़ की चोटी से मैसूर का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है। मंदिर के पास ही महिषासुर की विशाल प्रतिमा रखी हुई है। पहाड़ी के रास्ते में काले ग्रेनाइट के पत्थर से बने नंदी बैल के भी दर्शन होते हैं। पूजा का समय: सुबह 7.30-दोपहर 2 बजे तक, दोपहर 3.30-शाम 6 बजे तक, शाम 7.30-रात 9 बजे तक( साभार: विकिपीडिया)
चामुंडेश्वरी मंदिर कर्नाटक के मैसूर में चामुंडी नामक पहाड़िया पर स्थित धार्मिक स्थान है। यह मंदिर चामुंडेश्वरी देवी को समर्पित है। चामुंडेश्वरी देवी को दुर्गाजी का ही रूप माना जाता है। चामुंडी पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर दुर्गा जी द्वारा राक्षस महिषासुर के वध का प्रतीक माना जाता है। चामुंडी पहाड़ी पर महिषासुर की एक ऊंची मूर्ति है और उसके बाद मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। यह मां के 51 शक्तिपीठों में से एक है, यह 18 वां महाशक्ति पीठ है, मान्यतानुसार, यहां माता के बाल गिरे थे।
पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नामक राक्षस को ब्रह्माजी से वरदान मिला कि उसकी मृत्यु एक स्त्री के हाथों होगी। वर मिलने के बाद महिषासुर ने देवताओं और ऋषियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया, तब दुखी देवताओं ने महिषासुर से छुटकारा पाने के लिए मां भगवती की आराधना की। देवी मां ने देवताओं की प्रार्थना करने पर महिषासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया। देवी भगवती और महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। देवी ने सभी असुरी सेना का वध कर अंत में महिषासुर का सिर काट दिया। देवी के इस रूप को चामुंडा नाम दिया गया।
नवरात्र के दौरान चामुंडेश्वरी देवी के मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। नवरात्रि के बाद दशमी के दिन होने वाला दशहरा महोत्सव न सिर्फ भारत ही बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। मैसूर में 600 सालों से अधिक पुरानी परंपरा वाला यह पर्व धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। मैसूर में दशहरा उत्सव का प्रारंभ चामुंडी पहाड़ियों पर विराजने वाली देवी चामुंडेश्वरी के मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और दीप प्रज्ज्वलन के साथ होता है। यहां पर श्रद्धालु मां से अपनी मनोवांछित इच्छा की पूर्ति के लिए आते हैं।
चामुंडेश्वरी मंदिर में आयोजित होने वाला दशहरा का उत्सव हर वर्ष बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। असत्य पर सत्य की जीत का यह त्यौहार वैसे तो देश भर में मनाया जाता है। परंतु इसका रंग मैसूर में बड़ा ही निराला दिखाई पड़ता है। दस दिन तक मनाया जाने वाला यह उत्सव देवी मां चामुंडा द्वारा महिषासुर के वध का प्रतीक है। इस दौरान यहां पर कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।दशहरे के दिन मनाए जाने वाले उत्सव को जंबो सवारी कहा जाता है। इस दिन सबकी नजरें हाथी पर निकलने वाले सुनहरे रंग के हौदे पर टिकी होती हैं। मान्यतानुसार पुराने जमाने में इस हौदे का उपयोग मैसूर के राजा अपनी शाही गज सवारी के लिए करते थे। हालांकि अब साल में केवल एक बार विजयादशमी के जुलूस में इस हौदे का प्रयोग माता की सवारी के लिए किया जाता है। विजयादशमी के मौके पर मैसूर का राज दरबार आम लोगों के लिए खोल दिया जाता है। यह दिन मैसूरवासियों के लिए बेहद खास होता है, यहां पर भव्य जुलूस निकाला जाता है।। इस अवसर पर यहां दस दिनों तक बेहद धूमधाम से उत्सव मनाए जाते हैं।(साभार: नवभारत टाइम्स)
MAISURU VIEW FROM CHAMUNDI HILLS |
MA CHAMUNDI TEMPLE - MYSURU |
मंदिर बहुत ही सुन्दर दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ हैं. मंदिर कैंपस बहुत बड़ा हैं.
MA CHAMUNDESHWARI TEMPLE MAIN GATE - MYSURU |
MA CHAMUNDESHWARI (FROM FACEBOOK) |
MA CHAMUNDI TEMPLE MAIN ENTRANCE |
मंदिर से थोड़ा पहले ही चौराहे पर पर महिषासुर की मूर्ति लगी हुई हैं, जिसमे उसका रौद्र रूप दिख रहा हैं.
MAHISHASUR STATUE AT CHAMUNDI HILLS - MYSURU |
महिषासुर के साथ मै |
ये मेरे साथ फोटो में जाने कौन मैडम आ गयी थी. चलो कोई बात नहीं.
चामुंडी हिल से एक और दृश्य |
चामुंडी हिल्स से मैसूर |
माता के दर्शन के बाद हम लोग अपनी बस में बैठ कर अगले स्थान के लिए रवाना हो गए, हमारा अगला डेस्टिनेशन था, मैसूर पैलेस....इससे आगे का वृत्तान्त जानने के लिए क्लिक करिए..(MYSURU TRAVELL - 6 - CITY PALACE IN DAY LIGHT)
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