Sunday, August 16, 2020

MYSURU TRAVELL - 4 - CHAMARAJENDRAN ZOO

MYSURU TRAVELL - 5 - CHAMUNDI HILLS
MYSURU TRAVELL - 4 - CHAMARAJENDRAN ZOO

इस यात्रा वृत्तान्त को आरम्भ से पढने के लिए क्लिक करे (MYSURU TRAVELL - 1 - DELHI TO MYSURU & INFOSYS CAMPUS)

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कावेरी एम्पोरियम से निकल कर हम लोग चिड़ियाघर की और चल पड़े. इस चिड़िया घर  को चामराजेंद्रन चिडिया घर  भी कहा जाता हैं.

चिड़िया घर का मुख्यद्वार 
मैसूर का चिड़ियाघर : कर्नाटक के मैसूर में विश्व के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक चिड़ियाघर है जिसकी स्थापना 1892 में शाही संरक्षण में हुई थी।  इस चिड़ियाघर में 40 से भी ज्यादा देशों से लाए गए जानवरों को रखा गया है। यहां हाथी, सफेद मोर, दरियाई घोड़े, गैंडे और गोरिल्ला के अलावा देश-विदेश की कई प्रजातियां हैं। इसके अलावा यहां भारतीय और विदेशी पेड़ों की करीब 85 से अधिक प्रजातियां रखी गई हैं। इस चिड़ियाघर में करंजी झील है, जहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। यह सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक खुला रहता हैं.

250 एकड़ में फैला मैसूर चिड़ियाघर भारत के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है। इसे श्री चमाराजेन्द्रा जूलॉजिकल गार्डन के नाम से भी जाना जाता है। यहां विभिन्न प्रजातियों के जानवर पाए जाते हैं जिन्हें देखने हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। मैसूर चिड़ियाघर की एक खास बात यह भी है कि यहां जानवरों के पिंजरे बहुत बड़े हैं जहां वे आजादी के साथ घूम-फिर सकते हैं। मैसूर चिड़ियाघर में शेर, चीते, सफ़ेद हाथी, मोर, दरियाई घोड़े, चिम्पैंजी, जिराफ, ज़ेब्रा, सफ़ेद हिरन और गैंडे आदि जानवर देखे जा सकते हैं। इस चिड़ियाघर में पांच बड़े ऐनाकोंडा  भी हैं। यह भारत का एकमात्र चिड़ियाघर है जहां सफेद, काले और भूरे रंग के गैंडे देखने को मिलते हैं। चिड़ियाघर में एक झील है जिसका नाम "करंजी झील है। इस झील में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। इसके अतिरिक्त यहां एक जूलॉजिकल गार्डन भी है जहां भारतीय और विदेशी पेड़ों की करीब 85 प्रजातियां रखी गई हैं। मैसूर चिड़ियाघर में लगभग 40 से भी ज्यादा देशों से लाए गए जानवरों को रखा गया है। यह एकमात्र ऐसा चिड़ियाघर था जहां एक गोरिल्ला भी था लेकिन साल 2014 में इस गोरिल्ला की मृत्यु हो गई।   मैसूर चिड़ियाघर करीब सौ साल से भी पुराना है। इसका निर्माण 1892 में मैसूर के तत्कालीन राजा चमाराजेन्द्र वाडियार (Sri Chamarajendra Wadiyar) ने कराया था। इस चिड़ियाघर में पहले केवल शाही परिवार के लोग ही घूम सकते थे लेकिन वर्ष 1920 में इसे आम जनता के लिए भी खोल दिया गया। आजादी के बाद महाराजा ने इसे भारत सरकार को सौंप दिया।



सफ़ेद मोर - ZOOLOGICAL GARDEN MYSURU



लाल नीले तोते 

तेंदुआ 

चीता 

चीता 
जंगल का राजा शेर 

जू का एक दृश्य 

क्या मस्त बैठा है 
क्या स्टाइल हैं 

ये क्या कर रहा हैं 

एक और दृश्य 

अफ्रीकन ज़ेबरा 


जंगली कुत्ता 
बारहसिंघा का झुण्ड 

भालू 

सफ़ेद हिरन 

जंगली भैंसा 

भालू 

गजराज 

गैंडा 

जिराफ 

MAIN GATE OF ZOO - MYSURU 

पूरा चिड़िया घर घुमने में करीब एक डेढ़ घंटा लग जाता हैं. बस वाले ने सबको एक घंटे के अन्दर आने के  लिए बोला था. परन्तु एक हैदराबादी परिवार ऐसा था कि वह हमेशा लेट आता था. सब लोग उनकी प्रतीक्षा कर रहे होते थे. मैंने  बाहर आकर    भुट्टा आदि खाया. कुछ  पेट पूजा की व चाय पी. इतने  सब लोग आगये थे और बस चलने के लिए तैयार   थी. अब हमें चामुंडी हिल पर जाना था. जंहा पर माँ चामुंडी के दर्शन करने थे. इससे आगे का वृत्तान्त जानने के लिए क्लिक करिए(MYSURU TRAVELL - 5 - CHAMUNDI HILLS)

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