MYSURU TRAVELL - 3 -JAGAN MOHAN PALACE
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सुबह ठीक ६ बजे सोकर उठ गया. जल्दी उठने की आदत जो हैं. लॉज से बाहर निकल कर मोर्निंग वाक पर निकल गया. मैसूर की हल्की ठंडी सुबह थी. चाय की तलब लगने लगी, तभी मंजुनाथ भाई की दुकान दिखाई दी. मैंने जाकर हिंदी में पूछा कि चाय मिलेगी. मंजू भाई बोले क्यों नहीं. हिंदी में बात करने लगे. बहुत अच्छा लगा. पूछा कंहा से आये हो. काफी देर बात की. वे अखबार भी सेल करते थे. मैंने हिंदी अखबार पूछा तो मंजू भाई के यंहा से ही राजस्थान पत्रिका हिंदी अखबार मिल गया. जो की बेंगलुरु से प्रकाशित होता हैं. इतने मैसूर में रहा, चाय और अखबार मंजू भाई के यंहा से ही लिया. इसके अलावा इनका टूर & ट्रवेल का भी काम हैं. इन्होने ही मेरी मैसूर घुमने के लिए बस बुक कराई. मात्र २०० रूपये में पुरे दिन के लिए मेरी बुकिंग थी. इसमें महलों व संग्रहालयो के टिकट व खाना पीना अलग से था.
श्री मंजुनाथ जी |
जयलक्ष्मी ट्रावेल्स की बस |
यह वह बस थी जिसने मुझे पुरे दिन मैसूर की सैर कराई. जया लक्ष्मी ट्रवेल की बस थी ये. बस यात्रा के दौरान दो बन्दे जो की बिहार से थे, मेरी बराबर वाली सीट पर थे. एक थे राजरिशी कुमार जी जिनसे आज भी मेरा संपर्क हैं. दुसरे बन्दे का मुझे नाम याद नहीं रहा. यह दोनों किसी प्रोजेक्ट पर कर्णाटक आये हुए थे. बस में कुल मिलकर ५५ लोग थे. बस में एक गाइड कम कंडक्टर था. जो माइक पर बताता जा रहा था. सबसे पहले हमें नजदीक ही जगनमोहन पैलेस ले जाया गया. गाइड ने टिकट खरीदे. और हम लोग महल में प्रवेश कर गए. महल बाहर से बहुत ही सुन्दर नज़र आता हैं. इस महल को एक संग्राहलय में परिवर्तित कर दिया गया हैं.
जगनमोहन महल
इस महल का निर्माण महाराज कृष्णराज वोडेयार ने 1861 में करवाया था। यह मैसूर की सबसे पुरानी इमारतों में से एक है। 1897 में जब पुराना लकड़ी का महल आग में जलकर नष्ट हो गया तो मुख्य महल के निर्माण होने तक जगनमोहन महल शाही परिवारों का निवास स्थान भी रहा। यह तीन मंजिला इमारत सिटी बस स्टैंड से 10 मिनट कर दूरी पर है। 1915 में इस महल को श्री जयचमाराजेंद्र आर्ट गैलरी का रूप दे दिया गया जहां मैसूर और तंजौर शैली की पेंटिंग्स, मूर्तियां और दुर्लभ वाद्ययंत्र रखे गए हैं। इनमें त्रावणकोर के शासक और प्रसित्र चित्रकार राजा रवि वर्मा तथा रूसी चित्रकार स्वेतोस्लेव रोएरिच द्वारा बनाए गए चित्र भी शामिल हैं। महल को देखने का समय: सुबह 8.30-शाम 5.30 बजे तक हैं. महल में कैमरा ले जाना मना हैं.
1902 में कृष्णराजा वुडेयार चतुर्थ ने महल को अपने कमान में ले लिया और इस मौके पर आयोजित एक समारोह में तत्कालीन वाइसराय और गवर्नर जेनरल ऑफ इंडिया लॉर्ड कजर्न ने भी शिरकत की थी। पर्यटक महल में शादी के पवेलियन को भी देख सकते हैं, जिसे कृष्णराजा वुडेयार चतुर्थ की शादी के दौरान बनवाया गया था। इस पवेलियन को दरबार हाल के नाम से भी जाना जाता है और इसकी प्रसिद्धी इस बात को लेकर है कि कृष्णराजा वुडेयार चतुर्थ यहां अपना जन्मदिन मनाया करते थे। इस हॉल का प्रयोग संगीत उत्सव, नाटक और सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ-साथ मैसूर युनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के लिए भी किया जाता था। आज इस महल का प्रयोग दशहरा त्योहार के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम और समारोह के लिए किया जाता है। महल में दो विशाल लकड़ी के दरवाजे हैं, जिसमें भगवान विष्णु के दसावतार की नक्काशी के साथ-साथ मैसूर के राजाओं की पेंटिंग और हस्तशिल्प बने हुए हैं।(विकिपीडिया)
JAGAN MOHAN PALACE - MYSURU |
JAGAN MOHAN PALACE MYSURU |
JAGAN MOHAN PALACE MYSURU |
महल में करीब ४० मिनट घुमने के बाद हम लोग बस में बैठकर अपने दुसरे डेस्टिनेशन की और चल दिए. हमारा अगला डेस्टिनेशन था कावेरी एम्पोरियम.
बस की खिड़की से लिया गया फोटो |
दशहरा मैदान, मैसूर |
यह ऊपर मैसूर का दशहरा मैदान हैं. मैसूर का दशहरा बहुत मशहूर हैं. इसे देखने के लिए हिंदुस्तान भर से और विदेशो से लोग आते हैं. इसका फोटो भी बस में बैठे हुए ही लिया था.
चौराहे पर खुबसूरत स्टेचू
मैसूर के चौराहे बहुत अच्छी तरह से सज्जित हैं. यंहा की सरकारी इमारते भी किसी महल की तरह नज़र आती हैं.
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कावेरी सिल्क व हस्तकला शोरूम |
मैसूर का सिल्क का और चन्दन का काम बहुत प्रसिद्द हैं. कावेरी सिल्क एंड हैंडी क्राफ्ट भंडार कर्नाटक सरकार के शोरूम हैं. जिनमे सिल्क की साड़िया, हस्तकला व चन्दन की लकड़ी की शिल्पकारी का सामान मिलता हैं. शोरूम काफी बड़े क्षेत्र में हैं. कर्णाटक में हर नगर में ये शो रूम हैं. पर सामान बहुत महँगा हैं.
Cauvery Handicrafts Emporium
The high standard of craftsmanship maintained by KSHDC has made the Cauvery name synonymous with quality handicrafts.
India can boast of one of the oldest civilizations of the world. The country’s vast cultural and ethnic diversity is showcased in its wide array of fascinating handicrafts.The south Indian state of Karnataka is known for its handicraft industry and its unique, traditional masterpieces which are made from a variety of materials using intricate motifs and time-tested as well as modern techniques. The dense forests of Karnataka, rich in flora and fauna, have inspired a variety of crafts. The sandalwood and rosewood grown in abundance in Karnataka have led to the legacy of exquisite sandalwood carvings and intricate rosewood inlay work. Age-old traditions have been kept alive by passing on jealously guarded techniques from generation to generation. However, the onslaught of modernization has sidelined these craftsmen due to their lack of exposure to the modern global culture.
To ensure that the State's rich tradition of exquisite craftsmanship is preserved, developed and promoted, the Government of Karnataka established the "Karnataka State Handicrafts Development Corporation Ltd (KSHDCL)" in 1964.
KSHDCL has taken up the following initiatives:
Identify places where craftsmen are concentrated and set up craft complexes with facilities like living-cum-work sheds equipped with tools and machinery.
Provide raw materials like sandalwood, zinc and silver at subsidized rates to the craftsmen.
Train craftsmen in creating new designs in mediums like sandalwood, rosewood, lacquer and bronze.
Keep craftsmen updated on the changing market trends, by exposing them to the latest technology.
Look after requirements of the handicraft industry, for instance, wood-seasoning plants set up at the Multi Craft Complex in Mysore and at the Lacquer ware Craft Complex in Channapatna.Indian arts and crafts are in demand all over the world for their beauty, intricacy and artistic work, adding elegance to any decor. KSHDCL markets the beautiful handicrafts of Karnataka under the brand name Cauvery through outlets across the country. The high standard of craftsmanship maintained by KSHDC has made the Cauvery name synonymous with quality handicrafts. साभार: (https://www.cauveryhandicrafts.net/cauvery-handicrafts-emporium)
भगवान् श्री कृष्णा की मूर्ति - कावेरी हैंडी क्राफ्ट्स - MYSURU |
भगवान् शिव की चन्दन की मूर्ति - कावेरी हैंडी क्राफ्ट्स - MYSURU |
कावेरी शोरूम में कलाकृतियो का निर्माण - कावेरी हैंडी क्राफ्ट्स - MYSURU |
मैसूर के एक चौराहे का दृश्य |
कावेरी शोरूम में कुछ समय बिताने के बाद हम लोग अगले डेस्टिनेशन की और बढ़ चले. हमारा अगला पड़ाव था, चिड़ियाघर...इससे आगे का वृत्तान्त जानने के लिए क्लिक करे(MYSURU TRAVELL - 4 - CHAMARAJENDRAN ZOO
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