Saturday, August 1, 2020

A TRAVELL TO KHAJURAHO - खजुराहो की यात्रा - ४

   A TRAVELL TO KHAJURAHO - खजुराहो की यात्रा - ४ 

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कंदरिया मंदिर काम्प्लेक्स से निकलकर चायपानी नाश्ता आदि करके मैं आगे विश्वनाथ मंदिर की ओर बढ़ा. करीब एक फर्लांग की दूरी तय करके विश्वनाथ मंदिर, पार्वती मंदिर और नंदी मंदिर काम्प्लेक्स आ जाता हैं 

खजुराहो मंदिर काम्प्लेक्स का एक नजारा - KHAJURAHO

खजुराहो पश्चिम समूह मंदिर का काम्प्लेक्स बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है. यदि ध्यानपूर्वक सारे मंदिरों को और उनकी नक्काशी व कलाकारी को देखो तो पूरा दिन भी लग सकता हैं. पर एक से एक मंदिर व रचनाये इस मंदिर काम्प्लेक्स में फैली हुई हैं. बहुत शानदार बहुत ही सुन्दर 

कंदरिया महादेव व जगदम्बी मंदिर दूर से 

कंदरिया महादेव मंदिर दूर से 

विश्वनाथ मंदिर पीछे से 
विश्वनाथ मंदिर पीछे से 
पार्वती मंदिर का शिलापट 

पार्वती मंदिर 

पार्वती मंदिर माता पार्वती को समर्पित हैं. इसमें अन्दर माता पार्वती की मुर्तिया स्थापित हैं. इस मंदिर में रेनोवेशन का काम चल रहा था.इसलिए इस मंदिर के अन्दर गर्भ गृह के दर्शन नहीं कर पाए. ना ही कोई फोटो ले पाए.

नंदी मंदिर का शिलापट 

विश्वनाथ मंदिर का संकेतक 

विश्वनाथ मंदिर का शिलापट 

विश्वनाथ मंदिर 

विश्वनाथ मंदिर के सामने नंदी मंदिर 
नंदी मंडप विश्वनाथ मंदिर का ही एक भाग हैं. और विश्वनाथ मंदिर के सामने हैं. इसमें विश्वनाथ  मंदिर की और मुख किये नंदी जी की  एक विशाल प्रतिमा स्थापित हैं. यह नंदी मंडप चोकोर बारह खम्बो पर आधारित हैं. यह मंदिर चार लघु मंदिरों से युक्त पंचायतन शैली का मंदिर था. पर इसमें अब दो ही मंदिर शेष हैं. मंदिर के अन्दर  प्राप्त शिला लेख के अनुसार यह मंदिर राजा घंग द्वारा स्थापित हैं. जिसे शिव मर्कतेश्वर मंदिर भी कहते हैं.

विश्वनाथ मंदिर - VISHVANATH MANDIR KHAJURAHO

विश्वनाथ मंदिर खजुराहो में निर्मित सभी मंदिरों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं. यह मंदिर भगवान् शिव को समर्पित हैं. गर्भ गृह में पवित्र शिवलिंग स्थापित हैं.


विश्वनाथ नाथ मंदिर का एक और नज़ारा 

विश्वनाथ मंदिर की अन्दर की छत 

विश्वनाथ मंदिर के अन्दर का एक और दृश्य 

अलग मोड में एक और दृश्य 

पवित्र शिवलिंगम 

गर्भ गृह की छत 

गर्भ गृह में शिलापट 
मंदिर के अन्दर शिलालेख लगा हुआ हैं. जिसमे ब्राह्मी लिपि में मंदिर का इतिहास लिखा हुआ हैं. 

नंदी मंडप 

विश्वनाथ मंदिर की दीवारों पर कलाकारी 
विश्वनाथ मंदिर नीचे से 

विश्वनाथ मंदिर में कलाकारी 

क्या कलाकारी हैं 

विश्वनाथ मंदिर में छोटा मंदिर 

नंदी मंदिर का संकेतक 

विश्वनाथ व नंदी मंदिर दूर से 

मस्जिद जैसा मंदिर 
यह मंदिर मस्जिद शैली में बना हुआ हैं. यह एक शिव मंदिर हैं. यह भगवान् शिव के किसी    मुस्लिम भक्त ने बनवाया था. बाहर से देखने में ये एक मस्जिद की तरह से से नज़र आता हैं. यह भी कहा जाता हैं की मुस्लिम काल में यह एक पुरातन मंदिर था. जिसे मुस्लिमो ने तोड़कर मस्जिद में बदल दिया था. बाद में इसमें शिवलिंग की स्थापना हिन्दुओ के द्वारा कर दी गयी थी 

मस्जिद जैसा मंदिर 

तीनो मंदिर एक साथ 
अब मेरा पश्चिम मंदिर समूह का भ्रमण पूरा हो चूका था. थकान भी हो रही थी. गर्मी भी थी. करीब साधे बारह बज चुके थे. भूख भी लग रही थी  मैं मंदिर समूह से बाहर निकल आया. कुछ खाने पीने के लिए ढूंढने लगा. बाहर एक चाट वाला खड़ा था. टिक्की और समोसे का आनंद लिया. व पानी पतासे खाए. खा पीकर बराबर में स्थित मतंगेश्वर मंदिर की और चल पड़ा.

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A TRAVELL TO KHAJURAHO - खजुराहो की यात्रा - ३

A TRAVELL TO KHAJURAHO - खजुराहो की यात्रा - ३ 

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लक्ष्मण मंदिर में कुछ देर घुमने के बाद मैं आगे कंदरिया महादेव मंदिर की और बढ़ता हूँ. खजुराहो का ये सबसे बड़ा और शानदार मंदिर हैं ये. इसे दूर से देख कर ही सम्मोहन सा होने लगता हैं. नाम से ही जाहिर हैं की ये मंदिर भगवान् शिव का  मंदिर हैं. अब कुछ लेख विकिपीडिया से 

कंदरिया महादेव मंदिर

कंदरिया महादेव मंदिर पश्चिमी समूह के मंदिरों में विशालतम है। यह अपनी भव्यता और संगीतमयता के कारण प्रसिद्ध है। इस विशाल मंदिर का निर्माण महान चन्देल राजा विद्याधर ने महमूद गजनवी पर अपनी विजय के उपलक्ष्य में किया था। लगभग 1050 ईसवीं में इस मंदिर को बनवाया गया। यह एक शैव मंदिर है। तांत्रिक समुदाय को प्रसन्न करने के लिए इसका निर्माण किया गया था। कंदरिया महादेव मंदिर लगभग 107 फुट ऊंचा है। मकर तोरण इसकी मुख्य विशेषता है। मंदिर के संगमरमरी लिंगम में अत्यधिक ऊर्जावान मिथुन हैं। अलेक्जेंडर कनिंघम के अनुसार यहां सर्वाधिक मिथुनों की आकृतियां हैं। उन्होंने मंदिर के बाहर 646 आकृतियां और भीतर 246 आकृतियों की गणना की थीं।( साभार: विकिपीडिया)

कंदरिया महादेव मंदिर - KHAJURAHO
कंदरिया महादेव मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर  - KHAJURAHO

मंदिर का विहंगम दृश्य 
शानदार, अद्भुत, विचित्र, चमत्कारिक और क्या   क्या कहू इस मंदिर के बारे में. देख कर ठगा सा रह  गया, मन करता हैं की घंटो देखता रहूँ. मन नहीं भरता हैं. लगातार फोटो खींचता रहा, पर मन नहीं भरा. ब्लॉग  में कौन सा फोटो डालू कौन सा ना डालू समझ नहीं आता. फिर भी कुछ  फोटो सेलेक्ट  किये.

कन्दारिया महादेव मंदिर का शिलापट 
शिलापट में ही मंदिर का पूरा इतिहास लिख दिया हैं और क्या लिखू. निशब्द हूँ 

मंदिर का संकेतक 






कंदरिया महादेव मंदिर से दिखता जगदम्बी मंदिर 
कंदरिया महादेव मंदिर से सामने का दृश्य 

मंदिर के अन्दर छत की कलाकारी 
ये कलाकारी ये नक्काशी मंडप की छत में कैसे की होगी और सब कुछ एक ही पत्थर में 

मंदिर के अन्दर का दृश्य 
गर्भ गृह के अन्दर छत का दृश्य 

दिव्य शिव लिंगम 
इस मंदिर में पूजा नहीं होती हैं, ये सभी मंदिर ASI के अंतर्गत हैं. पूजा केवल मतंगेश्वर महादेव मंदिर में होती है.
मंदिर के साइड का दृश्य 
बाहर से आये विदेशी  लोग इन्हें घंटो निहारते रहते है, की ये मंदिर  कैसे बने होगे, स्तब्ध रह जाते हैं. भारत का ज्ञान व विज्ञान वह भी हज़ारो वर्ष पूर्व का देखकर ये लोग चकित रह जाते हैं. गाइड इन्हें इतिहास बताते रहते हैं. 

मंदिर की बाहरी दीवारों पर शानदार कलाकारी 
दीवारों पर मैथुनरत कलाकारी 

जगदम्बी मंदिर दूर से 

मंदिर की बाहरी दीवारों पर का दृश्य 

कंदरिया मंदिर और जगदम्बी मंदिर के बीच में  सिंह  मंदिर

कंदरिया महादेव मंदिर में समय बिताने के बाद अगले मंदिर जगदम्बी मंदिर की और आ जाते हैं. सब एक से एक बने हुए है 
जगदम्बी मंदिर का शिलापट 
यह मंदिर माता पार्वती जगदम्बा का मंदिर हैं और मूल रूप से भगवान् विष्णु को समर्पित था. गर्भ गृह का सरदल चतुर्भुजी भगवान् विष्णु की प्रतिमा से सज्जित हैं. इसका निर्माण 1000 से 1025 ईसवीं के बीच किया गया था। सैकड़ों वर्षों पश्चात यहां छतरपुर के महाराजा ने देवी पार्वती की प्रतिमा स्थापित करवाई थी इसी कारण इसे देवी जगदम्बा मंदिर कहते हैं। यहां पर उत्कीर्ण मैथुन मूर्तियों में भावों की गहरी संवेदनशीलता शिल्प की विशेषता है। यह मंदिर शार्दूलों के काल्पनिक चित्रण के लिए प्रसिद्ध है। शार्दूल वह पौराणिक पशु था जिसका शरीर शेर का और सिर तोते, हाथी या वराह का होता था।

जगदम्बी मंदिर का संकेतक 

जगदम्बी मंदिर के अन्दर छत की कलाकारी 

मंदिर के अन्दर का मंडप 

एक ही पत्त्थर से बना हुआ द्वार 

मंदिर में माँ जगदम्बा की मूर्ति शानदार एक ही पत्थर ज़बानी हुई 

माँ जगदम्बी की एक और तस्वीर 

मंदिर के मुख्य द्वार पर रक्षक सिंह 

माँ जगदम्बी मंदिर सामने से 

कंदरिया महादेव व जगदम्बी मंदिर 

बोद्ध संत के साथ एक चित्र 
जगदम्बी मंदिर से निकलते ही बोद्ध संतो के दर्शन हो जाते हैं. उन से बात करके मन प्रसन्न होता हैं. पास में ही स्थित चित्रगुप्त मंदिर की और चलता हूँ. यह मंदिर भगवान् सूर्य का हैं. गर्भ गृह में भगवान् सूर्य की एक ही पत्थर से निर्मित मूर्ति स्थापित हैं. खजुराहो में एकमात्र सूर्य मंदिर है जिसका नाम चित्रगुप्त है। चित्रगुप्त मंदिर एक ही चबूतरे पर स्थित चौथा मंदिर है। इसका निर्माण भी विद्याधर के काल में हुआ था। इसमें भगवान सूर्य की सात फुट ऊंची प्रतिमा कवच धारण किए हुए स्थित है। इसमें भगवान सूर्य सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं। मंदिर की अन्य विशेषता यह है कि इसमें एक मूर्तिकार को काम करते हुए कुर्सी पर बैठा दिखाया गया है। इसके अलावा एक ग्यारह सिर वाली विष्णु की मूर्ति दक्षिण की दीवार पर स्थापित है।

चित्रगुप्त मंदिर का शिलापट 
मंदिर का संकेतक 
चित्रगुप्त मंदिर 

चित्रगुप्त मंदिर का मंडप 

भगवान् सूर्य, चित्रगुप्त मंदिर, KHAJURAHO

भगवान् सूर्य 
मंदिर के स्तंभों पर नक्काशी 
गर्भ गृह के द्वार के ऊपर कलाकारी 
चित्रगुप्त मंदिर 
मंदिरों के दर्शन करते करते धुप भी तेज़ हो गयी थी. मार्च के शुरुआत से ही बुंदेलखंड में गर्मी होनी शुरू हो जाती हैं. थोड़ी प्यास और भूख भी लगने लगी थी. पास में एक कैंटीन में ठंडा पानी पीया और कुछ स्नक्स लिए. थोड़ी देर विश्राम करके दुसरे मंदिरों की और निकल लिया. यंहा से आगे का वृत्तान्त पढ़िए (A TRAVELL TO KHAJURAHO - खजुराहो की यात्रा - ४ )