Saturday, August 1, 2020

A TRAVELL TO KHAJURAHO - खजुराहो की यात्रा - १

A TRAVELL TO KHAJURAHO - खजुराहो की यात्रा - १ 

होली का समय निकट आ रहा था. होली पर तीन चार दिन की छुट्टी हो जाती हैं. होली खेलने का मन नहीं था. इसलिए कंही दूर घुमने का कार्यक्रम बन गया. मुझे अधिकतर अकेले ही घुमने की आदत हैं. (A SOLO TRAVELLER). सोचने लगा की कंहा की यात्रा की जाए. बहुत सोचने के बाद कार्यक्रम बना खजुराहो का. बहुत सुना था खजुराहो के बारे में. विद्युत् प्रकाश मौर्य जी के ब्लॉग पर मैंने खजुराहो के बारे में पढ़ा. उनसे सलाह ली. और फिर GOIBIBO पर जाकर खजुराहो की दो दिन की बुकिंग, योगी लोज में कराई. योगी लोज बिलकुल मुख्य मंदिर के सामने हैं. सिंगल बेडरूम का कमरा मात्र १५०/- रूपये प्रतिदिन में मिल गया. उसके बाद उत्तरप्रदेश संपर्क क्रांति में टिकट बुक कराई. जाने का  दिन था २८ फरवरी. इस दिन मुज़फ्फरनगर से में ठीक १२ बजे दिल्ली निजामुद्दीन स्टेशन के लिए चल पड़ा. मुज़फ्फरनगर से सीधी आनंदविहार के लिए बस पकड़ी और ३ घंटे में आनंदविहार पहुँच गया. आनंदविहार से निजामुद्दीन स्टेशन की DTC बस पकड़ कर स्टेशन पहुँच गया. अभी शाम के पांच बजे थे तो बहुत सा समय स्टेशन पर पास किया. साढ़े सात बजे ट्रेन लग गयी. ट्रेन का टाइम रात ८ बजे था. ठीक आठ बजे ट्रेन खजुराहो के लिए चल पड़ी. होली के त्यौहार के कारण स्लीपर कोच में बिना आरक्षण वाले घुस आये थे. हाल ये था की टॉयलेट जाने का भी मार्ग नहीं था. सुबह ४ बजे झांसी आने पर वो लोग उतरे. ये हाल हैं रेलवे का. न  कोई चेकिंग, न कोई TT. और स्लीपर वाले यात्री परेशान. खैर सुबह ६ बजे ट्रेन खजुराहो पहुँच गयी. अब कुछ खजुराहो के बारे में....विकिपीडिया से 


(खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में 'खजूरपुरा' और 'खजूर वाहिका' के नाम से भी जाना जाता था। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। भारत के अलावा दुनिया भर के आगन्तुक और पर्यटक प्रेम के इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आते रहते है। हिन्दू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने इस शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था। विभिन्न कामक्रीडाओं को इन मंदिरों में बेहद खूबसूरती के उभारा गया है। खजुराहो का मंदिर एक सभ्य सन्दर्भ, जीवंत सांस्कृतिक संपत्ति, और एक हजार आवाजें, जो सेरेब्रम, से अलग हो रही हैं, खजुराहो ग्रुप ऑफ मॉन्यूमेंट्स, समय और स्थान के अन्तिम बिंदु की तरह हैं, जो मानव संरचनाओं और संवेदनाओं को संयुक्त करती सामाजिक संरचनाओं की भरपाई करती है, जो हमारे पास है। सब रोमांच में। यह मिट्टी से पैदा हुआ एक कैनवास है, जो अपने शुद्धतम रूप में जीवन का चित्रण करने और जश्न मनाने वाले लकड़ी के ब्लॉकों पर फैला हुआ है।


चंदेल वंश द्वारा 950 - 1050 CE के बीच निर्मित, खजुराहो मंदिर भारतीय कला के सबसे महत्वपूर्ण नमूनों में से एक हैं। हिंदू और जैन मंदिरों के इन सेटों को आकार लेने में लगभग सौ साल लगे। मूल रूप से 85 मंदिरों का एक संग्रह, संख्या 25 तक नीचे आ गई है। एक यूनेस्को विश्व विरासत स्थल, मंदिर परिसर को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी। पश्चिमी समूह में अधिकांश मंदिर हैं, पूर्वी में नक्काशीदार जैन मंदिर हैं जबकि दक्षिणी समूह में केवल कुछ मंदिर हैं। पूर्वी समूह के मंदिरों में जैन मंदिर चंदेला शासन के दौरान क्षेत्र में फलते-फूलते जैन धर्म के लिए बनाए गए थे। पश्चिमी और दक्षिणी भाग के मंदिर विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित हैं। इनमें से आठ मंदिर विष्णु को समर्पित हैं, छह शिव को, और एक गणेश और सूर्य को जबकि तीन जैन तीर्थंकरों को हैं। कंदरिया महादेव मंदिर उन सभी मंदिरों में सबसे बड़ा है, जो बने हुए हैं।

खजुराहो का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है। य शहर चन्देल साम्राज्‍य की प्रथम राजधानी था। चन्देल वंश और खजुराहो के संस्थापक चन्द्रवर्मन थे। चन्द्रवर्मन मध्यकाल में बुंदेलखंड में शासन करने वाले राजपूत राजा थे। वे अपने आप को चन्द्रवंशी मानते थे। चंदेल राजाओं ने दसवीं से बारहवी शताब्दी तक मध्य भारत में शासन किया। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ईसवीं से 1050 ईसवीं के बीच इन्हीं चन्देल राजाओं द्वारा किया गया। मंदिरों के निर्माण के बाद चन्देलो ने अपनी राजधानी महोबा स्थानांतरित कर दी। लेकिन इसके बाद भी खजुराहो का महत्व बना रहा।

मध्यकाल के दरबारी कवि चंदबरदाई ने पृथ्वीराज रासो के महोबा खंड में चन्देल की उत्पत्ति का वर्णन किया है। उन्होंने लिखा है कि काशी के राजपंडित की पुत्री हेमवती अपूर्व सौंदर्य की स्वामिनी थी। एक दिन वह गर्मियों की रात में कमल-पुष्पों से भरे हुए तालाब में स्नान कर रही थी। उसकी सुंदरता देखकर भगवान चन्द्र उन पर मोहित हो गए। वे मानव रूप धारणकर धरती पर आ गए और हेमवती का हरण कर लिया। दुर्भाग्य से हेमवती विधवा थी। वह एक बच्चे की मां थी। उन्होंने चन्द्रदेव पर अपना जीवन नष्ट करने और चरित्र हनन का आरोप लगाया।

अपनी गलती के पश्चाताप के लिए चन्द्र देव ने हेमवती को वचन दिया कि वह एक वीर पुत्र की मां बनेगी। चन्द्रदेव ने कहा कि वह अपने पुत्र को खजूरपुरा ले जाए। उन्होंने कहा कि वह एक महान राजा बनेगा। राजा बनने पर वह बाग और झीलों से घिरे हुए अनेक मंदिरों का निर्माण करवाएगा। चन्द्रदेव ने हेमवती से कहा कि राजा बनने पर तुम्हारा पुत्र एक विशाल यज्ञ का आयोजन करेगा जिससे तुम्हारे सारे पाप धुल जाएंगे। चन्द्र के निर्देशों का पालन कर हेमवती ने पुत्र को जन्म देने के लिए अपना घर छोड़ दिया और एक छोटे-से गांव में पुत्र को जन्म दिया।

हेमवती का पुत्र चन्द्रवर्मन अपने पिता के समान तेजस्वी, बहादुर और शक्तिशाली था। सोलह साल की उम्र में वह बिना हथियार के शेर या बाघ को मार सकता था। पुत्र की असाधारण वीरता को देखकर हेमवती ने चन्द्रदेव की आराधना की जिन्होंने चन्द्रवर्मन को पारस पत्थर भेंट किया और उसे खजुराहो का राजा बनाया। पारस पत्थर से लोहे को सोने में बदला जा सकता था।

चन्द्रवर्मन ने लगातार कई युद्धों में शानदार विजय प्राप्त की। उसने कालिंजर का विशाल किला बनवाया। मां के कहने पर चन्द्रवर्मन ने तालाबों और उद्यानों से आच्छादित खजुराहो में 85 अद्वितीय मंदिरों का निर्माण करवाया और एक यज्ञ का आयोजन किया जिसने हेमवती को पापमुक्त कर दिया। चन्द्रवर्मन और उसके उत्तराधिकारियों ने खजुराहो में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया।(साभार: विकिपीडिया)


खजुराहो का रेलवे स्टेशन बहुत ही खुबसूरत तरीके से बना हुआ हैं. एक ऐतिहासिक इमारत या मंदिर की तरह से बना हुआ हैं. 

खजुराहो रेलवे स्टेशन - KHAJURAHO RAILWAY STATION 

KHAJURAHO RAILWAY STATION 

रेलवे स्टेशन खजुराहो - RAILWAY STATION KHAJURAHO
BOARD ON KHAJURAHO RAILWAY STATION 


RAKESH SONI JI - राकेश सोनी जी 

स्टेशन से बाहर निकलकर मैं बाहर टेम्पो टैक्सी स्टैंड पर पहुंचा. यंहा से खजुराहो नगर ७ या ८ किलोमीटर पड़ता हैं. शेयरिंग ऑटो वाले से जाने के लिए पूछा तो उसने २०० रुपया कहा. वह मुझे टूरिस्ट जानकर ऐसे मांग रहा था. मैं परेशान ये क्या. मैं परेशान खडा हुआ  था  की एक ऑटो वाले और  आ गए, मैंने उनसे पूछा की खजुराहो योगी लोज जाना हैं, वो बोले हां क्यों नहीं. मैंने डरते डरते किराया पूछा. बोले भाई दस रूपये. मैं उछल  पड़ा. मैंने कहा भाई क्यों मजाक कर रहे हो. वो बोले भाई परेशान न हो बैठ जाओ. परदेश में इतना अच्छा  व्यवहार. उनका नाम   राकेश सोनी जी था. मेरे साथ साथ एक बन्दा अमित गुप्ता जो की चित्रकूट से आ रहे थे वे भी   बैठ गए. राकेश जी हम दो सवारियों को लेकर ही खजुराहो आ गए. मैंने उन्हें रूपये दिए. मैंने उनसे रेलवे स्टेशन पर ऑटो वालो की ठगी के बारे में पूछा,  वो कहने लगे की कुछ लोग इस तरह से यंहा का नाम खराब कर रहे हैं. नहीं तो दस रूपये का रेट हैं. उन्होंने मुझे अपना मोबाइल नंबर (9993924207) दिया और बोला की यदि यंहा पर कोई भी परेशानी हो तो मुझे फोन करना, मैं हेल्प कर दूंगा. मैंने उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद दिया. परदेश में एक भला आदमी मुझे मिल गया था. 

उन्होंने मुझे योगी लोज पर छोड़ दिया. मैं उनके बारे में सोचता हुआ, लोज में चला गया. 

खजुराहो में मेरा ठिकाना - YOGI LODGE KHAJURAHO 
योगी लोज मुख्य मंदिर समूह के सामने स्थित हैं. अधिकतर विदेशी लोग ठहरते है यंहा पर. मेरा रूम छोटा सा साफ़ सुथरा सिंगल बैड का कमरा था.  टॉयलेट साथ में थी. इस लोज में खाने का भी बढ़िया इंतजाम था. और सबसे बड़ी बात ये की ये लोज खजुराहो की मुख्य स्थान पर हैं. जंहा से पैदल ही काफी कुछ स्थान घूम सकते हैं. बाज़ार भी  पास में ही हैं.  यंहा से आगे का वृत्तान्त जानने के लिए क्लिक करिए( A TRAVELL TO KHAJURAHO - खजुराहो की यात्रा - २)

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