SHEKHAWATI TRAVELL - KHATUSHYAM JI YATRA - 2
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अपने होटल से हम लोग श्याम बाबा के दर्शन के लिए तोरण द्वार पर आ गए. यंहा से एक ध्वज पताका, जिसमे एक नारियल बंधा हुआ होता हैं लेकर चलते हैं इसे निशान बोलते हैं. इसको श्याम बाबा के दरबार में चढाते हैं. यंहा से करीब एक डेढ़ किलोमीटर बाबा का मंदिर पड़ता हैं. मंदिर तक निशान को लेकर पैदल चलते है. और निशान को वंहा पर चढाते हैं.
तोरण द्वार पर श्रद्धालु निशान के साथ
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तोरण द्वार |
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तोरणद्वार पर मै निशान लिए हुए |
हम लोग पवित्र निशान को लेकर पैदल श्याम बाबा मंदिर की और चल पड़े . तोरण द्वार से मंदिर तक मार्ग में धर्मशालाए, होटल, बाज़ार आदि पड़ता है. बाज़ार में प्रसाद की दुकाने सजी हुई थी.
खाटू श्याम जी की कहानी:
भगवान कृष्ण ने दिया था कलियुग में पूजे जाने का वरदान
पौराणिक कथा के अनुसार, खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था।
खाटू श्याम जी को भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित श्याम बाबा के भव्य मंदिर में दर्शन के लिए हर दिन लाखों भक्त पहुंचते हैं। मान्यता है कि श्याम बाबा सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और फर्श से अर्श तक पहुंचा सकते हैं।
कौन हैं बाबा खाटू श्याम-
बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। यह पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। पौराणिक कथा के अनुसार, खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था।
वनवास के दौरान जब पांडव अपनी जान बचाते हुए भटक रहे थे, तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। हिडिम्बा ने भीम से एक पुत्र को जन्म दिया जिसे घटोखा कहा जाता था। घटोखा से बर्बरीक पुत्र हुआ। इन दोनों को अपनी वीरता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध होना था, तब बर्बरीक ने युद्ध देखने का निर्णय लिया था। भगवान श्रीकृष्ण ने जब उनसे पूछा वो युद्ध में किसकी तरह हैं, तो उन्होंने कहा था कि वो पक्ष हारेगा वो उसकी ओर से लड़ेंगे।
भगवान श्रीकृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे और उन्हें डर था कि कहीं पांडवों के लिए उल्टा न पड़ जाए। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए दान की मांग की। दान में उन्होंने उनसे शीश मांग लिया। दान में बर्बरीक ने उनको शीश दे दिया, लेकिन आखिर तक उन्होंने युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की।
श्रीकृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए उनका सिर युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रख दिया। युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि युद्ध की जीत का श्रेय किसे जाता है। तब बर्बरीक ने कहा कि उन्हें जीत भगवान श्रीकृष्ण की वजह से मिली है। भगवान श्रीकृष्ण इस बलिदान से प्रसन्न हुए और कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया।
धीरे धीरे चलते हुए हम लोग मंदिर तक पहुँच गए. ज्यादा भीड़ नहीं थी. अब भीड़ का प्रबंधन भी बहुत अच्छे तरीके से होता हैं. लाइन में लगकर बाबा के दर्शन किये ,जल्दी नंबर आ गया था. बाबा का आशीर्वाद लेकर बाहर आगये. मंदिर के अन्दर के फोटो लेना मना हैं. जो ले सका वो ले लिए..
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दर्शन के लिए लगी हुई पाइप लाइन |
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दर्शन के लिए लाइन में सेल्फी लेता हुआ |
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पवित्र मंदिर |
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पवित्र मंदिर |
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बाबा का मंदिर |
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मंदिर से बाहर का दृश्य |
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मंदिर के पीछे का दृश्य दिन में दर्शन करने के बाद हम लोग अपने कमरे में आ कर के सो गए. फिर शाम के समय बाबा के दर्शन के लिए गए. |
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मंदिर के अन्दर रात में |
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रात के समय मंदिर का दृश्य |
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एक सेल्फी तो बनती है. मंदिर में रात के समय दर्शन करने क बाद हम लोग खाटू श्याम जी के दुसरे स्थलों की और गए. सबसे पहले श्याम बगीची में गए. |
श्री श्याम वटिका - खाटू श्याम जी के निज मंदिर के बाई तरफ श्याम बगीची है | श्री श्याम भक्त आलू सिंह जी इसी बगीची के फूलो से श्याम बाबा का नित श्रींगार किया करते थे | इसी बगीची में श्री आलू सिंह जी की मूरत लगी हुई है जिस पर सभी श्याम भक्त अपना शीश झुकाने और दर्शन करने आते है | यंही पर आलू सिंह जी की समाधि भी हैं.
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श्याम भक्त आलू सिंह जी |
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बगीची के अन्दर |
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बगीची में फव्वारा |
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खाटू श्याम जी का बाज़ार बगीची के दर्शन के उपरान्त हम लोग बाज़ार से होते हुए श्याम कुंड की और आ गए. यंहा पर दो श्याम कुंड हैं. जिन्हें हर पंडित लोग असली वाला मानते हैं. |
श्याम कुंड
श्री खाटू श्याम जी का शीश जिस धरा के भाग से अवतरित हुआ था वो श्याम कुंड के नाम से जाना जाता है। और ऐसा माना जाता है की इस कुंड में श्याम भक्त सच्चे मन से एक डुबकी लगा ले तो वो अपनी बुराइयों से दूर और अच्छे शरीर का धनि हो जाता है। इसलिए जब भी आपका खाटूश्याम जी बाबा श्याम के दर्शन करने जाना हो श्याम कुंड में दुबकी जरूर लगाना।
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श्याम कुंड |
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श्याम कुंड |
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श्याम बाबा की महिमा लिखी हुई हैं. यंही से थोड़ी दूर एक दुसरा भी कुंड हैं इस वाले को यंहा बैठे हुए पंडत असली वाला मानते हैं. पर यह बहुत छोटा और गंदा हैं. |
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श्याम कुंड के पास बाबा की मूर्ति |