MYSURU TRAVELL - 9 - NANJANGUD
आज दिनांक 08/05/2019 को मुझे दो स्थानों की यात्रा करनी थी. सबसे पहले दक्षिण की काशी कही जाने वाली नंजनगुड़ की यात्रा करनी थी उसके बाद श्री रंग पट्टन जाना था रंगनाथ स्वामी के दर्शन के लिए. नंजन गुड़ जाने के लिए मुझे ISBT से बस पकडनी थी. यह नगर ऊटी जाने वाले मुख्य हाईवे पर २६ किलोमीटर दूर पड़ता हैं. रास्ते में कावेरी नदी का चौड़ा पाट भी पड़ता हैं. ISBT पहुंचकर मैंने ऊटी जाने वाली बस पकड़ी. बस ने मुझे करीब ३० मिनट में पहुंचा दिया. मंदिर दूर हाईवे से ही दिखने लगता हैं. हाईवे पर उतरकर मुश्किल से ४०० कदम चलने के बाद मंदिर आ जाता हैं.
दैनिक भास्कर से - दक्षिण का शिवालय:मैसूर के नंजनगुड में है करीब एक हजार साल पुराना श्रीकांतेश्वर मंदिर, सात मंजिला है इसका मुख्य द्वार
माना जाता है इस शिवलिंग की स्थापना गौतम ऋषि ने की, 108 शिवलिंग बने हैं इस मंदिर में. कर्नाटक की तीर्थनगरी नंजनगुड में भगवान शिव का बहुत पुराना मंदिर है। नंजनगुड प्राचीन तीर्थनगर है। जो कि कर्नाटक में मैसूर से 26 किलोमीटर दक्षिण में है। ये तीर्थ कावेरी की सहायक नदी काबिनी के तट पर है। नंजनगुड नगर 10वीं और 11वीं शताब्दी में गंग तथा चोल वंश के समय से ही प्रसिद्ध है। यहां भोलेनाथ की पूजा श्रीकांतेश्वर नाम से होती है।
भगवान शिव के इस खूबसूरत मंदिर को नंजनगुड मंदिर और श्रीकांतेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह द्रविड़ शैली में बना है और 147 स्तम्भों पर खड़ा है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव का वास था। यह मंदिर करीब एक हजार साल पुराना है। बाहर भगवान शिव की बहुत बड़ी मूर्ति है। यहां पर स्थापित शिवलिंग के विषय में यह माना जाता है कि इसकी स्थापना गौतम ऋषि ने की थी। गेहुएं रंग के पत्थर से बने इस मंदिर के गोपुरम और बहुत बड़ी चारदीवारी के ऊपर की गई शिल्पकारी में गणेशजी के अलग-अलग युद्धों की झलकियां हैं। इसकी शिल्पकारी देखने लायक है।
सात मंजिला है मुख्यद्वार
इस मंदिर में गणेशजी, शिवजी और पार्वतीजी के अलग-अलग गर्भगृह हैं। बड़े अहाते में एक किनारे पर 108 शिवलिंग हैं। इस बहुत बड़े मंदिर में एक जगह ऐसी भी है, जहां ऊंची छत से सुबह सूर्य की पहली किरण आती है। यह मंदिर करीब 50 हजार वर्ग फीट में फैला हुआ है। मंदिर का मुख्यद्वार लोगों को बहुत ही पसंद आता है। इसे महाद्वार के नाम से जाना जाता है। 7 मंजिला इस दरवाजे में सोने से मढ़वाए हुए 7 कलश हैं। इन कलश की ऊंचाई करीब तीन मीटर है।
रथयात्रा है खास
स्थानीय लोगों का यह मानना है कि इस मंदिर के दर्शन से भक्तों के दुख खत्म होते हैं। यहां साल में दो बार रथोत्सव मनाया जाता है। इसे दौड़ जात्रे भी कहा जाता है। इस जात्रा में भगवान गणेश, श्री कांतेश्वर, सुब्रमन्य, चंद्रकेश्वर और देवी पार्वती की मूर्तियों को अलग-अलग रथों में स्थापित कर पूजा अर्चना कर रथोत्सव की शुरुआात होती है। इस महोत्सव को देखने के लिए हजारों की भीड़ में लोग इकट्ठे होते हैं।(साभार: दैनिक भास्कर)
मंदिर दूर से ही मन मोहने लगता हैं. बहुत ही सुन्दर और विशाल मंदिर हैं ये. प्राचीन द्रविड़ शैली में बना हुआ हैं. मंदिर के अन्दर गर्भ गृह में फोटो लेने की अनुमति नहीं हैं. बाकी मंदिर में ले सकते हैं. अन्दर ही प्रसाद का लड्डू मिलता हैं. और शीशियो में बंद पवित्र जल मिलता हैं. यंहा पर भगवान् शिव का विशाल लिंगम स्थापित हैं.
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सुन्दर विशाल मंदिर - NANJANGUD - MYSURU |
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नंदी जी मंदिर के अन्दर - NANJANGUD - MYSURU |
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यज्ञ मंडप |
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मंदिर का परिसर |
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मंदिर का परिसर |
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मंदिर गौपुरम |
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एक और मंदिर |
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एक और मंदिर |
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मंदिर को दर्शाता शिला पट |
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मंदिर का गलियारा |
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मंदिर का पवित्र रथ |
दक्षिण के मंदिरों में एक विशाल रथ अवश्य होता हैं इन रथो में सभी मंदिरों में सालाना रथ यात्रा निकलती हैं. इन रथो को भक्तजन अपने हाथो से खींचते हैं.
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रथ के सामने मै |
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मंदिर के गौपुरम का शिखर |
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मंदिर दूर से |
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मंदिर के पास भगवान् शिव की विशाल मूर्ति |
मंदिर के चारो और छोटे छोटे मंदिर बने हुए हैं. छोटा सा कस्बा हैं. मंदिर के आसपास प्रसाद, आम पापड़ बेचने की दुकाने हैं. मंदिर के पास ही भगवान् शिव की विशाल मूर्ति स्थापित हैं. यंही पर पास में ही एक चायवाला व इडली वाला खडा हुआ था. एक प्लेट इडली खाई गयी व एक चाय सुड़की गयी. बाहर मेन रोड पर आते ही बस मिल गयी, खाली बस थी और मैसूर की और जा रही थी. मैसूर पहुंचकर मुझे श्रीरंग पट्टन की बस पकडनी थी. जल्दी ही मैसूर ISBT पहुँच गया.. इससे आगे का वृत्तान्त पढने के लिए क्लिक करे.(MYSURU TRAVELL - 10 - RANGNATHSWAMI TEMPLE)
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