MYSURU TRAVELL - 10 - RANGNATHSWAMI TEMPLE
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नंजन गुड़ से आने के बाद मुझे श्रीरंगपट्टन जाना था. रंगनाथ स्वामी जी के दर्शन करने थे. ISBT से मुझे बेंगलुरु जाने वाली बस मिल गयी. उसने मुझे श्रीरंगपट्टन उतार दिया. बस स्टैंड से मंदिर करीब एक किलोमीटर पड़ता हैं. मैं पूछता हुआ किले के गेट से होता हुआ मंदिर पर पहुँच गया.
श्रीरंगपट्टण भारतीय के कर्नाटक राज्य के मांडया जिला में स्थित एक नगर है। यह मैसूरु के पास स्थित है।हालाँकि यह मैसूर शहर से मात्र 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, श्रीरंगपट्टण मांडयाा जिले में है। इस पूरे शहर पर कावेरी नदी छाई हुई है जिससे यह एक नदी का टापू बनता है। जहाँ मुख्य नदी टापू की पूर्वी दिशा में बह्ती है, इस नदी की पश्चिम वाहिनी पश्चिम की ओर बहती है। इस शहर को बंगलोर और मैसूर से ट्रेन से पहुँचा जा सकता है। इसके सड़क यातायात से भी जोड़ दिया गया है। यहाँ के राजमार्ग के सम्बंध में स्मार्कों को होने हानिकारक प्रभावों को कम से कम करने के प्रयास किए गए।
यह शहर अपना नाम प्रसिद्ध श्री रंगनाथस्वामी मन्दिर के नाम से लेता है जो इस शहर पर छाया हुआ है। इससे श्रीरंगपट्टण दक्षिण भारत का एक प्रमुख वैष्णव तीर्थस्थल बनता। इस मन्दिर का निर्माण पश्चिमी गंग वंश ने इस क्षेत्र में नौवीं शताब्दी में किया था। इस ढाँचे को तीन सदियों के पश्चात मज़बूत और बहतर बनाया गया था। इस मन्दिर की निर्माण कला होयसल राजवंश और विजयनगर साम्राज्य की हिन्दू मंदिर स्थापत्य का मिश्रण है।(विकिपीडिया)
पट्टन के किले का मुख्य द्वार |
श्री रंग पट्टन में एक किले के अवशेष भी हैं. उसी का मुख्य द्वार हैं ये.
ASI का बोर्ड |
भगवान विष्णु को समर्पित, रंगनाथस्वामी मंदिर शहर की परिधि में स्थित श्रीरंगपटना के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। वास्तव में, इस शहर का नाम भी इसी मंदिर के नाम पर पड़ा है। पीठासीन देवता की पूजा भगवान रंगनाथ के रूप में की जाती है। देवता की मूर्ति को नाग अनादि शेष के बिस्तर पर आराम करते हुए दर्शाया गया है, जिनके सात सिर हैं तथा उन्हें हमेशा भगवान विष्णु के साथी के रूप में चित्रित किया जाता है। माना जाता है कि यह मंदिर भगवान की आठ स्वयंभू मूर्तियों में से एक है। देश के सबसे बड़े मंदिरों में से एक, यह मंदिर 156 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें सात से अधिक बाड़ें व 21 भव्य टॉवर स्थित हैं। यह कोलरून और कावेरी नदियों द्वारा बनाये गये द्वीप पर स्थित है। इस मंदिर में दिसंबर और जनवरी में आयोजित 21-दिवसीय वार्षिक उत्सव के दौरान विशाल संख्या में लोग आते हैं।
संगम काल के दौरान, 10वीं शताब्दी ईस्वी में मंदिर और महाकाव्य सिलपदिकाराम की दीवारों पर शिलालेख के तमिल साहित्य में भी इसका उल्लेख मिलता है।(साभार: INCREDIBLE INDIA)
श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर - श्री रंग पट्टन - MYSURU |
मंदिर का भव्य गोपुरम |
मंदिर के अन्दर |
दक्षिण के मंदिरों में मंदिर का द्वार यानि गोपुरम बाकी के मंदिर से ज्यादा विशाल व भव्य होता हैं. फोटो लेने की अनुमति यंहा भी नहीं थी. पता नहीं क्यों ये रोक हमारे सभी मंदिरों, महलो व किलो में होती हैं. फोटो से तो और प्रचार होता हैं. जबकि इनके फोटो नेट पर आसानी से उपलब्ध हैं. यंहा पर भी केवल बाहर से ही फोटो ले पाया अन्दर से नहीं
खुबसूरत मंदिर |
दोपहर का समय था. सूरज सर पर था. गर्मी बहुत थी. मंदिर से बाहर आते ही मैसूर के लिए बस मिल गयी.
खुबसूरत चौराहा |
मैसूर के चौराहे बहुत अच्छी तरह से संरक्षित है. इस चौराहे के पीछे लोकल बस अड्डा दिखाई दे रहा हैं. इसके पास ही सिटी पैलेस हैं.
घंटाघर देवराजा मार्किट |
इस घंटाघर के चारो और देवराजा मार्किट हैं जोकि मैसूर में खरीदारी का सबसे प्रमुख स्थान हैं. आसपास हलवाई की दुकाने भी हैं जिन पर मैसूर की मशहूर मिठाई मैसूर पाक मिलता हैं. बहुत ही स्वादिस्ट मिठाई होती हैं ये. मुह में रखते ही घुल जाती हैं. मैंने भी एक किलो खरीदी. आज मैसूर में मेरा अंतिम दिन था. कल बेंगलुरु के लिए निकलना था. इससे आगे का वृत्तान्त पढने के लिए क्लिक करे...(MYSURU TRAVELL - 11 - MYSURU PALACE IN EVENING
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