Saturday, June 25, 2022

HASTINAPUR - A HOLY TRAVELL - 1

HASTINAPUR - A HOLY TRAVELL -  1

बहुत दिनों से कही घूमना फिरना नहीं हो रहा था, बरसात शुरू हो चुकी थी. रविवार के दिन कोरोना के कारण लोक डाउन हो रहा था. आने जाने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं था. सोचा कि कंही आस पास घुमा जाए. हस्तिनापुर मुज़फ्फरनगर से कुल ६० किलोमीटर हैं, बचपन में कभी स्कूल के टूर में गए थे. थोड़ी बहुत याद थी बस. हस्तिनापुर जाने का कार्य क्रम बनाया. सुबह जाकर के शाम तक लोटना था. सात अगस्त के प्रातः अपनी फिट फिट को उठाकर रोहित को साथ लेकर निकल पड़ा. रोहित मेरे ऑफिस में ही काम करता हैं. और छोटे भाई के सामान हैं. अब कुछ हस्तिनापुर के बारे में... हस्तिनापुर पुरातन काल में कुरु वंश की राजधानी रही हैं. वर्तमान में यह नगरी जैन वैश्य समुदाय का बहुत बड़ा तीर्थ हैं. जैन समुदाय द्वारा यंहा बहुत सारे मंदिर व धर्मशालाए बनवाई हुई हैं.

हस्तिनापुर

हस्तिनापुर (Hastinapur), जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ ज़िले में स्थित एक नगर है।

महाभारत काल में हस्तिनापुर कुरु वंश के राजाओं की राजधानी थी। हिन्दू इतिहास में हस्तिनापुर के लिए पहला सन्दर्भ सम्राट भरत की राजधानी के रूप में आता है। महा काव्य महाभारत में वर्णित घटनाएँ हस्तिनापुर में घटी घटनाओं पर आधारित है।

वर्तमान में हस्तिनापुर उत्तर प्रदेश के दोआब क्षेत्र में स्थित एक शहर, हस्तिनापुर है, जो मेरठ से ३७ किलोमीटर और दिल्ली से ११० किमी दूर है। यह २९ डिग्री ०९'३१.५०" डिग्री उत्तर और ७७ डिग्री ५९'१९.४६" पूर्व (29.17°N 78.02°E) में स्थित है। यह समुद्र तल से २०२ मीटर (६६२ फीट) की औसत ऊँचाई है। हस्तिनापुर दिल्ली से १०६ किलोमीटर दिल्ली-मेरठ-पौड़ी (गढ़वाल) राष्ट्रीय राजमार्ग ११९ पर है। यह पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा 6 फ़रवरी १९४९ को पुनर्स्थापना हुई एक एक छोटी सी बस्ती है, जहाँ लगभग ३३,००० लोगों की आबादी है।

ऐतिहासिक विवरण: हस्तिनापुर का इतिहास महाभारत के काल से शुरू होता है। यह भी शास्त्रों में गजपुर, हस्तिनापुर, नागपुर, असंदिवत, ब्रह्मस्थल, शांति नगर और कुंजरपुर आदि के रूप में वर्णित है। सम्राट अशोक के पौत्र, राजा सम्प्रति ने यहाँ अपने साम्राज्य के दौरान कई मंदिरों का निर्माण किया है। प्राचीन मंदिर और स्तूप आज यहाँ नहीं हैं। हस्तिनापुर शहर पवित्र नदी गंगा के किनारे पर स्थित था।

हस्तिनापुर में खुदाई १९५० के दशक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के बी.बी. लाल द्वारा किया गया।

2001 की जनगणना के रूप में, हस्तिनापुर की आबादी २१,२४८ थी जिसमे पुरुषों का प्रतिशत ५३ ओउर महिलाओं का ४७ था। हस्तिनापुर की साक्षरता दर ६८% है जो औसत साक्षरता ५९.५% के राष्ट्रीय औसत से ऊपर की दर है।

प्रमुख राजाओं की सूचीःशान्तनु
भीष्म - शान्तनु और गंगा देवी के पुत्र
चित्रांगद
विचित्रवीर्य - चित्रांगद का छोटा भाई
पाण्डु - अम्बालिका (विचित्रवीर्य की छोटी रानी) का पुत्र
धृतराष्टृ - अम्बिका (विचित्रवीर्य की बडी रानी) का पुत्र
युधिष्ठिर - कुन्तीपुत्र
परीक्षित - अभिमन्युपुत्र (अर्जुन और सुभद्रा का पुत्र)
जनमेजय - परीक्षित् का पुत्र

हस्तिनापुर जैन श्रद्धालुओं के लिए भी काफी प्रख्यात है। वास्तुकला के विभिन्न अद्भुत उदाहरण एवं जैन धर्म के विभिन्न मान्यताओं के केंद्र भी यहां पर भ्रमण योग्य हैं, जैसे जम्बुद्वीप जैन मंदिर, श्वेतांबर जैन मंदिर, प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर, अस्तपद जैन मंदिर एवं श्री कैलाश पर्वत जैन मंदिर आदि। जंबुद्वीप में सुमेरू पर्वत एवं कमल मंदिर एवं मंदिर का पूरा परिसर भ्रमण योग्य है, हस्तिनापुर सिख समुदायों के लिए भी एक बड़ा मान्यता का केंद्र है, क्योंकि यह पंच प्यारे भाई धर्म सिंह का जन्म स्थल भी है, जो गुरु गोविंद सिंह जी के पांच शिष्यों में से एक थें। सिख धर्म के लिए सैफपुर कर्मचनपुर का गुरुद्वारा श्रद्धालुओं के लिए बहुत बड़ा तीर्थ केंद्र है।

पवित्र एवं ऐतिहासिक स्थान होने के अतिरिक्त, हस्तिनापुर वन्यजीव के लिए भी काफी प्रख्यात है, क्योंकि यहां पास में अभ्यारण्य वनस्पति की विभिन्न प्रजातियों से सुसज्जित है एवं साथ ही वन्यजीव पर्यटन एवं एडवेंचर, ईको-टूरिज्म एवं संबंधित गतिविधियों का भी केंद्र है। हस्तिनापुर में रहने एवं खाने की बेहतर सुविधा भी उपलब्ध है। वन विभाग का रेस्ट हाउस एवं पी.डब्लू.डी. का अतिथि गृह भी यहां पर स्थित है, साथ ही जैन धर्मशाला भी स्थित है, जहां रुकने की बेहतर सुविधा उपलब्ध है।

हस्तिनापुर में सबसे पहले हम लोगो ने बड़ा जैन मंदिर के दर्शन किये. एक ऊँचे टीले पर ये मंदिर बना हुआ हैं. यंहा पर बन्दर बहुत हैं मेरी बाइक के सीट बंदरो ने फाड़ दी थी.

बड़ा जैन मंदिर

मंदिर के सवर्णिम द्वार से प्रवेश होते ही 31 फुट ऊँचा मानस्तम्भ बना हुआ है | चारो और जिनमंदिर है तथा बीच में मुख्य मंदिर है | मंदिर लगबग चार फ़ीट ऊँची चौंकी देकर बनाया गया है , और मंदिर के चारो और रेलिंगदार चबूतरा है | मंदिर में केवल एक है खंड है , और यह काफी बड़ा है | इस मंदिर में केवल एक ही वेदी है | वेदी तीन दरवाजे की है और काफी विशाल है | मूलनायक प्रतिमा भगवान शांतिनाथ की है | यह श्वेत पाषाण की लगभग एक हाथ लम्बी पदमासन प्रतिमा है |
इसके दायी और भगवान अरहनाथ और बायीं और भगवान कुंथुनाथ की मूर्ति स्थापित है | वेदी में पांच बालयति ( भगवान वासुपूज्य , भगवान मल्लिनाथ, भगवान नेमिनाथ, भगवान पार्शवनाथ व् भगवान महावीरस्वामी ) का एक फलक काफी प्राचीन होता है | बीच की प्रतिमा पदमासन और दो प्रतिमा खड्गासन है | दो प्रतिमाये खंडित है | सम्भवतः मुस्लिम काल में मुज्जफरनगर के भारग गाँव के जंगल में मिली थी , जो यहाँ पर ले आई गई | प्रतिमा पर कोई लेख नहीं है , इसलिए लोग चतुर्थ काल की मानते है |

बड़ा जैन मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार 

बड़ा जैन मंदिर 

बड़ा जैन मंदिर का अन्दर का प्रवेश द्वार 

मंदिर से नीचे मुख्य द्वार 

नीचे से मंदिर का द्वार 


मंदिर का विशाल द्वार 

मंदिर के अन्दर भगवान् जी की प्रतिमा 

सुन्दर प्रतिमा 

मंदिर के पीछे बड़ा हाल 



मंदिर के पीछे से चित्र 

पांच पांडव की प्रतिमाये 

पीछे एक और मंदिर 




मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगा शिला पट 


मंदिर के पार्श्व में हरा भरा क्षेत्र 

भगवान् आदिनाथ जी 




मंदिर में लगा शिलापट 

भगवान् बाहुबली जी 

सुन्दर मंदिर 

पीछे की और एक और मंदिर 

मंदिर में मै 

मंदिर का मुख्य गर्भ गृह
 
सुन्दर मंदिर 


मंदिर का गर्भ गृह 

गर्भगृह के बाहर दीप स्तम्भ 

बड़ा जैन मंदिर में कुछ समय गुजारने के बाद हम लोग दुसरे मंदिरों की और चल पड़े..

इससे आगे का यात्रा वृत्तान्त पढने के लिए क्लिक करे .....




2 comments:

  1. Howdy! I know this is somewhat off topic but I was wondering which blog platform are you using for this website?

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  2. Really a very helpful article thanks for sharing and keep on sharing!

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