Thursday, May 25, 2023

UJJAIN A HOLY TRAVELL - MUZAFFARNAGAR TO UJJAIN - 1

#UJJAIN A HOLY TRAVELL - MUZAFFARNAGAR TO UJJAIN - 1

23/10/21 

#उज्जैन की यात्रा करने का बहुत समय से मन था लेकिन कभी जाना नहीं हुआ. अबकी बार मैंने पक्का मन बना लिया था की उज्जैन अवश्य जाना है. खैर मैंने करवा चौथ  के समय के दिनांक 23/10/21 की दिनांक के आरक्षण करवा लिए. २४ दिनांक का करवा चौथ का त्यौहार था. इस समय पर किसी भी तीर्थ स्थान पर बहुत कम भीड़ मिलती हैं. मैंने देहरादून  इंदौर एक्सप्रेस का अपना आरक्षण करवाया. मुझे नीचे की बर्थ सबसे ज्यादा पसंद हैं. इसलिए आरक्षण भी में बहुत पहले करवा लेता हु. मुज़फ्फरनगर ट्रेन १०:३० AM पर पहुँचती हैं. यह देहरादून से आती हैं. और उज्जैन सुबह चार बजे पहुंचा देती हैं. सप्ताह में दो दिन चलती हैं. ट्रेन ठीक समय पर आ गयी थी. अपन राम उसमे सवार होकर उज्जैन की और निकल पड़े..

मुज़फ्फरनगर रेलवे स्टेशन का बोर्ड 

#मुज़फ्फरनगर रेलवे स्टेशन 

मुज़फ्फरनगर का रेलवे स्टेशन अभी तोड़कर बिलकुल नया बनाया गया हैं. राजस्थान के किशनगढ़ स्टेशन की कोपी हैं बिलकुल. अब कुछ उज्जैन या फिर अवन्तिका नगर के बारे में..

#उज्जैन 
आज जो नगर उज्जैन नाम से जाना जाता है वह अतीत में अवंतिका, उज्जयिनी, विशाला, प्रतिकल्पा, कुमुदवती, स्वर्णशृंगा, अमरावती आदि अनेक नामों से अभिहित रहा। मानव सभ्यता के प्रारंभ से यह भारत के एक महान तीर्थ-स्थल के रूप में विकसित हुआ। पुण्य सलिला क्षिप्रा के दाहिने तट पर बसे इस नगर को भारत की मोक्षदायक सप्तपुरियों में एक माना गया है।

अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका। पुरी द्वारावतीश्चैव सप्तैतामोक्षदायिका।।

उज्जैन भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है जो क्षिप्रा नदी या शिप्रा नदी के किनारे पर बसा है। यह एक अत्यन्त प्राचीन शहर है। यह महान सम्राट विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी थी । उज्जैन को कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हर 12 वर्ष पर सिंहस्थ महाकुंभ मेला लगता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक महाकाल इस नगरी में स्थित है। उज्जैन मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इन्दौर से 45 कि॰मी॰ पर है। उज्जैन के प्राचीन नाम अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा आदि है। उज्जैन मंदिरों की नगरी है। यहाँ कई तीर्थ स्थल है। इसकी जनसंख्या 515215 लाख सन ,2011 की जनगणना के हिसाब से है। यह मध्य प्रदेश का पाँचवा सबसे बड़ा शहर है। नगर निगम सीमा का क्षेत्रफल 152 वर्ग किलोमीटर है।

दर्शनीय स्थल चिन्तामन गणेश स्थिरमन गणेश गढ़कालिका माताजी हरसिद्धि माताजी कालभैरव देव महाकालेश्वर महादेव सिद्धनाथ वट मंगलनाथ देव अंगारेश्वर महादेव राम घाट चक्रतीर्थ गणेश रामजानकी मन्दिर अक्रुरेश्वर महादेव विष्णु सागर पुरुषोत्तम सागर मार्कंद्देशवर महादेव ग्याकोटा महादेव चारधाम मन्दिर विक्रांत भैरव ओखलेश्वर महादेव गोपाल मन्दिर भर्तुहरि गुफा सिंहेश्वर मन्दिर वैभवलक्ष्मी मन्दिर हनुमतेश्वर मन्दिर भूखीमाता मन्दिर विष्णु चतुष्टिका छत्रेश्वरी चामुण्डा माताजी संदीपनी आश्रम चयवनेश्वर महादेव गुमानदेव हनुमान मन्दिर.

वर्तमान उज्जैन नगर विंध्यपर्वतमाला के समीप और पवित्र तथा ऐतिहासिक क्षिप्रा नदी के किनारे समुद्र तल से 1678 फीट की ऊंचाई पर 23°डिग्री.50' उत्तर देशांश और 75°डिग्री .50' पूर्वी अक्षांश पर स्थित है। नगर का तापमान और वातावरण समशीतोष्ण है। यहां की भूमि उपजाऊ है। कालजयी कवि कालिदास और महान रचनाकार बाणभट्ट ने नगर की खूबसूरती को जादुई निरूपति किया है। कालिदास ने लिखा है कि दुनिया के सारे रत्न उज्जैन में हैं और समुद्रों के पास सिर्फ उनका जल बचा है। उज्जैन नगर और अंचल की प्रमुख बोली मीठी मालवी बोली है। जो की हिंदी की एक बोली हैं.. 

उज्जैन इतिहास के अनेक परिवर्तनों का साक्षी है। क्षिप्रा के अंतर में इस पारम्परिक नगर के उत्थान-पतन की निराली और सुस्पष्ट अनुभूतियां अंकित है। क्षिप्रा के घाटों पर जहाँ प्राकृतिक सौन्दर्य की छटा बिखरी पड़ी है, असंख्य लोग आए और गए। रंगों भरा कार्तिक मेला हो या जन-संकुल सिंहस्थ या दिन के नहान, सब कुछ नगर को तीन और से घेरे क्षिप्रा का आकर्षण है।

उज्जैन के दक्षिण-पूर्वी सिरे से नगर में प्रवेश कर क्षिप्रा ने यहां के हर स्थान से अपना अंतरंग संबंध स्थापित किया है। यहां त्रिवेणी पर नवगृह मंदिर है और कुछ ही गणना में व्यस्त है। पास की सड़क आपको चिन्तामणि गणेश पहुंचा देगी। धारा मुत्रड गई तो क्या हुआ? ये जाने पहचाने क्षिप्रा के घाट है, जो सुबह-सुबह महाकाल और हरसिध्दि मंदिरों की छाया का स्वागत करते है।

क्षिप्रा जब पूर आती है तो गोपाल मंदिर की देहली छू लेती है। दुर्गादास की छत्री के थोड़े ही आगे नदी की धारा नगर के प्राचीन परिसर के आस-पास घूम जाती है। भर्तृहरि गुफा, पीर मछिन्दर और गढकालिका का क्षेत्र पार कर नदी मंगलनाथ पहुंचती है। मंगलनाथ का यह मंदिर सान्दीपनि आश्रम और निकट ही राम-जनार्दन मंदिर के सुंदर दृश्यों को निहारता रहता है। सिध्दवट और काल भैरव की ओर मुत्रडकर क्षिप्रा कालियादेह महल को घेरते हुई चुपचाप उज्जैन से आगे अपनी यात्रा पर बढ जाती है।

कवि हों या संत, भक्त हों या साधु, पर्यटक हों या कलाकार, पग-पग पर मंदिरों से भरपूर क्षिप्रा के मनोरम तट सभी के लिए समान भाव से प्रेरणाम के आधार है।(विकिपीडिया)

#CHAMBAL GHATI 

ट्रेन के सवाई माधोपुर पार करते ही दोनों साइड में चम्बल की घाटियों के दर्शन होने लगते हैं. ये सवाई माधोपुर से मुरैना तक चौड़ाई में फैली हुई हैं. इन घाटियों की लम्बाई सैकड़ो किलोमीटर हैं. ये घाटिया चम्बल नदी के बहाव व बाढ़ से सैकड़ो सालो में बनी हैं. ये घाटिया सैकड़ो किलोमीटर में फैली हुई हैं. यह घाटिया डकैतों के नाम से बदनाम है. कभी डाकुओ के बड़े बड़े गिरोह इनमे रहते थे. जिन्हें पूरी की पूरी फोज़ भी ढूंढ नहीं पाती थी.

चम्बल घाटी 

चम्बल घाटी 

चम्बल घाटी 
चम्बल नदी का पाट काफी चौड़ा हैं. इस नदी में स्नान करना अशुभ माना जाता हैं. मध्यप्रदेश से निकल कर राजस्थान होती हुई उत्तर प्रदेश में घुसती हैं. और यमुना जी में मिल जाती हैं.

चम्बल के ऊपर रेल पुल 
मैं सुबह चार बजे उज्जैन पहुँच गया था. एक E RICKSHAW करके मैं बालाजी परिशर, अपने रुकने के गंतव्य पर आ गया था.
 
उज्जैन जंक्शन 

उज्जैन जंक्शन 

उज्जैन जंक्शन 
मैं बालाजी परिशर सुबह पांच बजे पहुँच गया. गेट बंद था. बहुत आवाज लगाने के बाद खुला. मुझे मेरा कमरा मिला. यह परिसर माता हर सिद्धि मंदिर के बिलकुल पास हैं. यंहा की बुकिंग मैंने यात्रा धाम साईट से कराई थी. इसका लिंक दे रहा हूँ.

(https://yatradham.org/) 

बालाजी परिसर का भी लिंक दे रहा हूँ. रहने के लिए भीड़ भाड़ से दूर माता हर सिद्धि मंदिर  के पास उपयुक्त स्थान हैं. 

Shri Balaji Parisar


BALAJI PARISAR UJJAIN (YATRADHAM)

112/1 Jaysingpura, Behind Mahakal Temple, Ujjain HO, Ujjain - 456001 (Harsiddhi Temple)

MOBILE- 09115596073

बालाजी परिसर का मैं कोई फोटो नहीं ले पाया था. ये फोटो यात्रा धाम से लिया हैं.

मेरे कमरे का फोटो 
सुबह सुबह नहा धोकर सवेरे जल्दी बाबा महाकाल के दर्शन के लिए चल दिया.
इससे आगे का यात्रा वृत्तान्त पढने के लिए क्लिक करे ..(Saturday, May 27, 2023 UJJAIN A HOLY TRAVELL - 2 - MAHAKAL DARSHAN.)


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