Sunday, July 19, 2020

सूरत से शिर्डी यात्रा -२ (शिर्डी साईं धाम )

सूरत से शिर्डी यात्रा -२ (शिर्डी  साईं धाम )

इस यात्रा को आरम्भ से पढने के लिए क्लिक करे"शिर्डी साईं धाम यात्रा - १ (सूरत से शिर्डी )"

साई बाबा मंदिर में ही करीब चार घंटे हो चुके थे. थक भी चुका था. मंदिर से बाहर आकर होटल की और चल पडा. रास्ते में एक अमरुद वाला खडा था. यंहा पर अमरुद दर्जन के भाव से मिलते हैं. जबकि हमारे यंहा किलो के हिसाब से मिलते हैं. इधर के अमरुद बड़े बड़े और स्वादिस्ट होते हैं. अमरुद का टेस्ट लेकर मैं अपने होटल पहुँच गया,  दो तीन घंटा जमकर सोया. सोकर उठके मैं नाश्ता करने चला गया और नाश्ते में चाय और बड़ा पाँव का स्वाद लिया.  फिर शिर्डी में घुमने निकल पड़ा. थोड़ी देर के लिए पास ही स्थित बस टर्मिनल पर बैठ गया. और आती जाती बसों को देखने लगा. शिर्डी से पुरे गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, और आँध्रप्रदेश के लिए बसे चलती हैं. यंहा पर थोड़ा समय गुजारने के पश्चात थडी ही दूर स्थित खंडोबा मंदिर पहुँच गया. भगवान् खंडोबा महाराष्ट्र में बहुत बड़े देवता और अवतार माने जाते हैं. इन्हें भगवान् शिव का अवतार माना जाता हैं. खंडोबा मंदिर के पुजारी म्हालसा पति जी साईं बाबा के सबसे प्रमुख भक्तो में थे. साईं बाबा जब दूसरी बार शिर्डी आये थे तो सबसे पहले वे खंडोबा मंदिर आये थे. महालसा पति जी ने उन्हें देखते ही कहा था आओ साईं. कहते हैं तभी से ही उनका नाम साई बाबा पड़ गया था. साईं शब्द का अर्थ महान पुरुष होता हैं. महालसा पति जी ने उनके उनके तेज और प्रभामंडल को देखते हुए उन्हें साईं के नाम से पुकारा था. 

खंडोबा मंदिर का मुख्य द्वार.


खंडोबा जी के मंदिर का अन्दर का दृश्य 

शिर्डी में रेलवे स्थानक का बोर्ड
खंडोबा मंदिर के बाद मैं फिर से साईं बाबा मंदिर परिशर  में पहुँच गया. मंदिर में उस समय भी बहुत  भीड़ थी. कही के भक्त लोग साईं बाबा की पालकी लेकर आये थे. उनकी श्रृद्धा देखते ही बन रही थी. महाराष्ट्र में एक परम्परा हैं की साईं बाबा के भक्त अपने गाव से पैदल साईं बाबा की पालकी लेकर चलते हैं. और शिर्डी में लेकर आते हैं. जैसे हमारी और कावड़ चलती हैं.

बाबा की पालही 

बाबा की पालकी उठाये हुए भक्त 

पालकी के अन्दर साईं बाबा 

साईं धाम का रात्रि दृश्य 



साईं धाम में लगे हुए CCTV कैमरों का दृश्य 

श्री चावड़ी मंदिर 

सोने का चमकता हुआ मंदिर का शिखर 




रात्री के समय मंदिर में कुछ समय गुजारने के बाद  खाना खाकर अपने होटल में सोने के लिए चला गया. सुबह शनिशिंगनापूर के लिए निकलना था. इस यात्रा का अगला वृत्तान्त पढने के लिए क्लिक करे "( सूरत से शिर्डी यात्रा -३ ( शनि शिन्गनापुर)

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