SHIRDI TRAVELL - सूरत से शिर्डी यात्रा -५- (नासिक-NASIK)
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हम लोग त्रिम्ब्केश्वर से करीब २ बजे आ गए थे. नासिक पहुँच कर लोकल के मंदिर व घाट देखने थे. हम लोग नासिक में ज्यादा कुछ तो देख नहीं पाए पर जो मुख्य मुख्य स्थान थे उनके दर्शन किये. इनमे में भी पंचवटी के दर्शन रह गए थे. पंचवटी में भगवान् राम, माता सीता व लक्ष्मण जी ने अपने वनवास का बहुत समय बिताया था.
अब कुछ नासिक के बारे में. विकिपीडिया से साभार
नासिक अथवा नाशिक भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक शहर है। नसिक महाराष्ट्र के उत्तर पश्चिम में, मुम्बई से १५० किमी और पुणे से २०५ किमी की दुरी में स्थित है। यह शहर प्रमुख रूप से हिन्दू तीर्थयात्रियों का प्रमुख केन्द्र है। नासिक पवित्र गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 565 मीटर है। गोदावरी नदी के तट पर बहुत से सुंदर घाट स्थित है। इस शहर का सबसे प्रमुख भाग पंचवटी है। इसके अलावा यहां बहुत से मंदिर भी है। नासिक में त्योहारों के समय में बहुत अधिक संख्या में भीड़ दिखाई पड़ती है।
नाशिक शक्तिशाली सातवाहन वंश के राजाओं की राजधानी थी। मुगल काल के दौरान नासिक शहर को गुलशनबाद के नाम से जाना जाता था। इसके अतिरिक्त नाशिक शहर ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में भी अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर ने १९३२ में नाशिक के कालाराम मंदिर में अस्पृश्योंको प्रवेश के लिये आंदोलन चलाया था।
नाशिक में लगने वाला कुंभ मेला, जिसे यहाँ सिंहस्थ के नाम से जाना जाता है, शहर के आकर्षण का सबसे बड़ा केन्द्र है। भारतीय पंचांग के अनुसार सूर्य जब कुंभ राशी में होते है, तब इलाहाबाद में कुंभमेला लगता है और सूर्य जब सिंह राशी में होते है, तब नाशिक में सिंहस्थ होता है। इसे कुंभमेला भी कहते है। अनगिनत श्रद्धालु इस मेले में आते हैं। यह मेला बारह साल में एक बार लगता है। इस मेले का आयोजन महाराष्ट्र पर्यटन निगम द्वारा किया जाता है। भारत में यह धार्मिक मेला चार जगहों पर लगता है। यह जगह नाशिक, इलाहाबाद, उज्जैन और हरिद्वार में हैं। इलाहाबाद में लगने वाला कुंभ का मेला सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। इस मेले में हर बार विशाल संख्या में भक्त आते हैं।
इस मेले में आए लाखों श्रद्धालु गोदावरी नदी में स्नान करते हैं। यह माना जाता है कि इस पवित्र नदी में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष आने वाले शिवरात्रि के त्योहार को भी यहां बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हजारों की संख्या में आए तीर्थयात्री इस पर्व को भी पूरे उमंग और उत्साह के साथ मनाते हैं।
इस त्योहार में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए राज्य सरकार कुछ विशेष प्रकार का प्रबंध करती है। यहां दर्शन करने आए तीर्थयात्रियों के रहने के लिए बहुत से गेस्ट हाउस और धर्मशाला की सुविधा मुहैया कराई जाती है। यहां स्थित घाट बहुत ही साफ और सुंदर है। त्योहारों के समय यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं।(साभार: विकिपीडिया)
रामघाट व रामकुंड |
रामकुंड गोदावरी नदी पर स्थित है, जो असंख्य तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां भक्त स्नान के लिए आते हैं। अस्थि विसर्जन के लिये यह कुंड एक पवित्र स्थान माना जाता है। यह माना जाता है कि जब भगवान श्री राम नासिक आए थे तो उन्होंने यही स्नान किया था। यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।
सबसे पहले हम लोग रामकुंड या रामघाट पहुंचे. मकर संक्रान्ति के कारण स्नान करने वालो की बहुत भीड़ थी. हमने केवल हाथ मुह धोये और पूजा की.
रामकुण्ड |
प्राचीन माँ गोदावरी मंदिर |
भक्तजन स्नान करते हुए |
रामघाट पर श्री कपालेश्वर मंदिर |
माँ सीता जी की गुफा की और जाने का संकेतक |
अलग अलग स्थानों को जाने का संकेतक |
काला राम मंदिर के बाहर प्रसाद की दुकाने |
श्री कालाराम मंदिर |
नासिक में भगवान् राम के दो प्रमुख मंदिर हैं एक हैं गोरा राम मंदिर, एक हैं काला राम मंदिर. गोरा राम मंदिर में भगवान् राम की सफ़ेद संगमरमर की प्रतिमा हैं. काला राम मंदिर में काले रंग की प्रतिमा हैं. इसमें हमने काला राम मंदिर के दर्शन किये. व बाहर से फोटो लिए. गोरा राम मंदिर हम नहीं जा पाए.
नाशिक में पंचवटी स्थित कालाराम मंदिर वहां के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण गोपिकाबाई पेशवा ने १७९४ में करवाया था। हेमाडपंती शैली में बने इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही खूबसूरत है। इस मंदिर की वास्तुकला त्र्यंबकेश्वर मंदिर के ही सामान है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह मंदिर काले पत्थरों से बनाया गया है।(साभार: विकिपेडिया)
मंदिरों के दर्शन करते हुए शाम हो चुकी थी. बहुत सी जगह हमारी देखने से रह गयी थी. हमारे पास समय भी नहीं था. बाकी के स्थान फिर कभी के लिए छोड़ दी गयी. हम लोग भी थक चुके थे मैंने अपने साथ के लोगो को भरे मन से अलविदा कहा. . मुझे सूरत निकलना था. जिसके लिए द्वारका सर्किल से, शुभम ट्रावेल्स से बस पकडनी थी. मेरी आल रेडी सूरत तक की बुकिंग थी. कुल ५०० रूपये किराया था. ये बस शिर्डी से आती हैं वंही से बुक की हुई बर्थ खाली आती हैं. रात दस बजे मेरी बस थी. मैं आठ बजे शुभम ट्रावेल्स द्वारिका सर्किल पर आ गया था. भूख भी लग रही थी. अपना बैग शुभम पर रखकर कुछ खाने की तलाश में निकल पडा. थोड़ी ही दूर एक साउथ इंडियन डोसे वाला खड़ा था. मैंने भी एक मैसूर डोसा खाया. रेट कुल ४० रूपये था. बहत ही स्वादिष्ट डोसा था. पेट भर गया था. एक चाय सुड़क कर मैं वापिस अपने ठीये पर आ गया. रात दस बजे ठीक समय पर बस आयी. मैं बस में चढ़ गया. अपनी बर्थ पर पहुंचकर लम्बी तान कर सो गया. ठीक चार बजे बस सूरत पहुँच गयी. मैं उतरकर पैदल घूमता हुआ अपनी PG में पहुँच गया. ये यात्रा यंही समाप्त होती हैं, कोई भूल चूक या गलती हुई हो तो क्षमा करना. धन्यवाद ॐ साईं राम....
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