Saturday, September 26, 2020

JODHPUR TRAVELL -8- UMMED BHAWAN PALACE, उम्मेद महल

JODHPUR TRAVELL -8- UMMED BHAWAN PALACE, उम्मेद महल 

इस यात्रा वृत्तान्त को आरम्भ से पढने के लिए क्लिक करे..(JODHPUR TRAVELL -1- जोधपुर की मस्ती भरी यात्रा)

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आज होली से अगला दिन हैं २२/०३/२०१९. आज का सबसे पहला कार्यक्रम हैं उम्मेद  भवन पैलेस का . जो की भारत में स्थित सबसे सुन्दर महलों में एक हैं. पर इस महल का एक छोटा सा ही हिस्सा पर्यटक देख सकते हैं. बाकी के भाग में 5 स्टार होटल चलता हैं. महल के ही एक हिस्से में राजपरिवार रहता हैं. मैं सुबह उठकर नहा धोकर, नाश्ता करके महल की और निकल पड़ा. लोकल ऑटो व गाडियों के द्वारा १५ - २० मिनट में मैं महल के पास पहुँच गया. ऑटो वाले ने मुझे बाहर की ओर उतार दिया. वंहा से महल करीब एक किलोमीटर पड़ता हैं. मैं पैदल पैदल चलता हुआ. २० - २५ मिनट में महल पर पहुँच गया. महल में घुसने से पहले एक टिकट लेना पड़ता हैं. शायद ३० रूपये का हैं. कैमरा का टिकट कोई नहीं हैं. बहुत ही खुबसूरत बहुत विशाल महल सीना ताने रेगिस्तान में खड़ा हैं. गर्व होता हैं अपनी इन विरासतों को देख कर. 

उम्मैद भवन पैलेस राजस्थान के जोधपुर ज़िले में स्थित एक महल है। यह दुनिया के सबसे बड़े निजी महलों में से एक है। यह ताज होटल का ही एक अंग है। इसका नाम महाराजा उम्मैद सिंह के पौत्र ने दिया था जो वर्तमान में मालिक है। अभी वर्तमान समय में इस पैलेस में ३४७ कमरे है। इस उम्मैद भवन पैलेस को चित्तर पैलेस के नाम से भी पहले जाना जाता था जब इसका निर्माण कार्य चालू था।   यह पैलेस १९४३ में बनकर तैयार हुआ था

उम्मेद भवन पैलेस के निर्माण का इतिहास एक संत द्वारा एक अभिशाप से जुड़ा है, जिन्होंने कहा था कि राठौड़ राजवंश के सुशासन के दौरान एक अकाल पड़ेगा। इस प्रकार, प्रताप सिंह के लगभग ५० साल के शासनकाल के अंत के बाद, जोधपुर को लगातार तीन वर्षों की अवधि के लिए १९२० के दशक में भीषण सूखे और अकाल का सामना करना पड़ा। इस कठिनाई का सामना करने वाले क्षेत्र के किसानों ने तत्कालीन महाराजा, उम्मेद सिंह, जो कि जोधपुर में मारवाड़ के ३७वें राठौड़ शासक थे, को कुछ रोजगार प्रदान करने के लिए मदद मांगी, ताकि वे कठोर परिस्थितियों से बच सकें। महाराजा ने किसानों की मदद करने के लिए एक भव्य महल बनाने का फैसला किया। उन्होंने महल के लिए योजना तैयार करने के लिए वास्तुकार के रूप में हेनरी वॉन लानचेस्टर को उत्तरदायित्व दिया; लैंचेस्टर एड्विन लुटियंस के समकालीन थे, जिन्होंने नई दिल्ली सरकार के परिसर की इमारतों की योजना बनाई थी।  लैंचेस्टर ने गुंबदों और स्तंभों के विशेषताओं को अपनाकर नई दिल्ली भवन परिसर की तर्ज पर उम्मेद पैलेस का निर्माण किया। महल को पश्चिमी प्रौद्योगिकी और भारतीय वास्तुकला के समायोजन के रूप में डिजाइन किया गया था।

पैलेस रोड जोधपुर में स्थित उम्मैद भवन पैलेस  से मेहरानगढ़ दुर्ग से ६.५ किमी और जसवंत थड़ा की समाधि से ६ किमी दूर है। यहाँ से अन्य पर्यटन स्थल भी काफी नजदीक हैं।

UMMED BHAWAN PALACE - JODHPUR 

उम्मेद भवन के सामने स्थित एक कॉलोनी 

भव्य महल 

महल का एक दरवाजा 

सुन्दर महल 

महल का प्रांगन 


महल के अन्दर संग्रहालय 

एक से बढ़कर एक चित्रकलाए 

छत के ऊपर चित्रकारी 

राठौर राजाओं के चित्र 





उम्मेद भवन का इतिहास 



महल में एक गलियारा 

राज परिवार के गहने 











ये सब ऊपर राजपरिवार के लोगो के चित्र हैं.





































ऊपर एक से एक पुरानी घड़िया प्रदर्शित हैं 

जोधपुर राज्य का चिन्ह 

महल के अन्दर विशाल प्रांगन 

और ये मैं 














महल का शिखर 


पुरानी कारो का संग्राहलय 

विशाल महल 


महल से निकलते पर्यटक 





दो खुबसूरत बच्चे मस्ती करते हुए 

मैं भी खिंचालू 

UMMED BHAWAN PALACE - JODHPUR 



महल का एंट्री द्वार 

महल के अन्दर बहुत  फोटोग्राफी की, खुलकर की, मन   नहीं भरता हैं. उनमे से कुछ फोटो यंहा पर लगाए. महल में करीब एक डेढ़ घंटा बिताने के बाद मैं बाहर आ गया. एक ऑटो   वाले से लिफ्ट लेकर मैं नीचे आ गया. जी हाँ महल थोड़ी उंचाई पर स्थितं हैं.

नीचे आकर के मैं   चौराहे पर स्थित अय्यपा मंदिर में घुस गया. यह मंदिर भगवान् अय्यप्पन को समर्पित हैं.

भगवान् अय्यपा मंदिर - AYYAPAA TEMPLE, RATNADA - JODHPUR 

मंदिर के अन्दर का दृश्य .

इस मंदिर में भगवान् अय्यप्पा की सुन्दर मूर्ति स्थापित हैं. भगवान अय्यपा भगवान् शिव व भगवान् विष्णु के पुत्र हैं. ये मंदिर  जोधपुर के रतनाडा क्षेत्र में स्थित हैं. इस मंदिर की स्थापना जोधपुर में रहने वाले केरल के निवासियों ने की थी.

इससे आगे का वृत्तान्त जान्ने के लिए क्लिक करे....(JODHPUR TRAVELL -9-KOILANA LAKE, कोइलाना झील)

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