Wednesday, May 5, 2021

A HOLY TRAVELL TO KANGDA VALLEY HIMACHAL - KANGDA MUSEUME & JAIN TEMPLE - 8

 A HOLY TRAVELL TO KANGDA VALLEY HIMACHAL - KANGDA MUSEUME & JAIN TEMPLE - 8 


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कांगड़ा किले से निकलकर हम लोग संग्रहालय की और आ गए. संग्रहालय किले के बिलकुल बाहर बना हुआ हैं. इसमें कांगड़ा के इतिहास के बारे में जानकारी दी गयी हैं.

कांगड़ा दुर्ग के निकट कटोच वंशजों द्वारा स्थापित महाराजा संसार चंद संग्र्रहालय देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। इसमें खास बात यह है कि यहां राजा महाराजाओं के रहन-सहन की सारी जानकारी मिल जाती है। आडियो गाइड सेवा भी यहां मौजूद है, जिसके जरिए कलाकृतियों की संपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है। म्यूजियम के मुख्य द्वार में प्रवेश करते ही बाईं ओर दीवार पर 490 कटोच शासकों के नाम अंकित हैं। संग्रहालय को छह कक्षों में बांटा गया है। यहां खास बात यह है कि यहां मौजूदा कटोच वंशजों की ट्राफियां व शृंगार का सामान सजाया हुआ है, इसके साथ ही त्रिगर्त, कटोच, मुस्लिम तथा अंग्रेजों के जमाने के चांदी एवं तांबे के सिक्कों के अलावा राजाओं के जमाने की सूंपर्ण ऐतिहासिक जानकारियां हैं।(साभार: विकिपीडिया)

कांगड़ा संग्रहालय में  कलाकृति 

कांगड़ा संग्रहालय में  कलाकृति 

कांगड़ा संग्रहालय में  कलाकृति 

कांगड़ा संग्रहालय में  कलाकृति 

कांगड़ा संग्रहालय को दर्शाते शिला पट 

कांगड़ा संग्रहालय से दिखता दुर्ग 

संग्रहालय से किले का विहंगम दृश्य दीखता है 


कांगड़ा संग्रहालय से दिखता जैन मंदिर 

कांगड़ा संग्रहालय का द्वार 

कांगड़ा संग्रहालय में कलाकृति 












मशरुर मंदिर की कलाकृति 

पुराने सिक्के 







कांगड़ा राज्य का नक्शा 

कांगड़ा इतिहास के पन्नो में 

किले के फोटो 

किले के अन्दर विध्वंश किये गए मंदिरों के चित्र 

संग्रहालय से थोड़ी ही दूर पर ऐतिहासिक जैन मंदिर हैं इस मंदिर में कुछ मंदिर व एक धर्मशाला बनी हुई हैं. धर्मशाला में रुकने का स्थान हैं. व अच्छे कमरे बने हुए हैं. एक भोजनशाला भी चलती हैं.

जैन मंदिर- पुरातत्व विभाग कार्यालय के पास नेमिनाथ का भव्य मंदिर व धर्मशाला है।वहां के व्यवस्थापक अश्विनी शर्मा हैं।उन द्वारा इस मंदिर का इतिहास बताया।इस का उल्लेख जैन ग्रंथों त्रिवेणी में मिलता है।यहां गुरूबल्लभ आर्चाय देव भ्रमण करते होशियारपुर से पैदल सन 1932 में आये व दुर्ग में आदि नाथ की मूर्ति देख कर प्रभावित हुये।यहां पर तप किया व भूखे रहे और बाद में चक्रेश्वरी माता के सपने में दर्शन हुये व यहां का कार्याभार उनको सौंपा व बाद में यहां पर सन 1986 में मंदिर का कार्य व जैन मंदिर की नींव रखी और कार्य शुरू हुआ व जैन व अन्य दानी जनों के सहयोग से मंदिर व अन्य रहने हेतू स्थान व कंटीन आदि निर्मित हुये।जैन तीर्थकर आदिनाथ की मूर्ति संगमरमर की स्थापित है।मंदिर भव्य है।आदि नाथ पांच हजार वर्ष के रहे हैं।पास धर्मशाला व ठहरने हेतू कक्ष व कंटीन आदि है।मंदिर के विकास का काम चल रहा है।फोटो आदि खिंचने नहीं दिये जाते।


जैन मंदिर कांगड़ा - JAIN MANDIR KANGDA 

जैन मंदिर कांगड़ा - JAIN MANDIR KANGDA 

जैन मंदिर कांगड़ा - JAIN MANDIR KANGDA 

कांगड़ा और जैन मंदिर का इतिहास 

जैन मंदिर में एक छोटा मंदिर 

जैन मंदिर से दीखता कांगड़ा किला 

जैन मंदिर 

जैन मंदिर और धर्मशाला 

जैन मंदिर में कुछ समय बिताने और चाय नाश्ता करने के बाद घूमते हुए हम लोग फिर से माता के मंदिर पर आ गए. फिर से माता के दर्शन किये और कुछ समय मंदिर में बिताया.

माता के मंदिर का बाज़ार - KANGDA

माता के मंदिर का बाज़ार - KANGDA

माता के मंदिर का बाज़ार - KANGDA

मंदिर का द्वार 



मंदिर के बारे में बताता शिला पट 

कांगड़ा मंदिर शाम के समय 



मंदिर के अन्दर तपस्या 

पेड़ के पीछे से भगवान् भास्कर दर्शन देते हुए 

मंदिर में विश्राम करते श्रद्धालु 


मंदिर का प्रांगण 

मंदिर का प्रांगण 

विशाल वटवृक्ष 

बाबू क्या खा रहे हो 

पंजाब से आया हुआ एक ग्रुप नृत्य करते हुए 

हमारा मनपसंद अमित ढाबा 

हमारा मनपसंद ब्रिजवासी ढाबा 



मंदिर में दर्शन करने के बाद हम लोग बाज़ार में घूमते हुए कांगड़ा में भ्रमण करते हुए अपने खाने व नाश्ते के स्थान अमित ढाबे व ब्रिजवासी ढाबे की और आ गए ये दोनों सगे भाइयो के ढाबे हैं. बहुत जोर की भूख  लगी थी. सुबह से घूम रहे थे. इन्ही ढाबे पर हमारा दैनिक खानपान का कार्यक्रम रहा.  सस्ते रेट- स्वादिष्ट खाना,  कुल चालीस रूपये की थाली, २० रूपये का सब्जी परांठा. १० रूपये की चाय. मैंने अपनी दोनों बार की कांगड़ा विजिट में यंही पर नाश्ता व खाना खाया. ये ढाबे कांगड़ा में मुख्य सड़क  पर बिगबाजार के सामने की और और HP पेट्रोल पंप के बराबर में  पड़ते हैं. खाना खाकर, चाय वाय पीकर तृप्ति हो गयी थी. अब नींद आने लगी थी. सामने ही सूद भवन में अपने घोंसले में पहुँच कर पड़ कर सो गए थे. 

इससे आगे का यात्रा वृत्तान्त पढने के लिए क्लिक करे..(A HOLY TRAVELL TO KANGDA VALLEY HIMACHAL - BAIJNATH DHAM - 9)

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