किले से मैं गुलाब सागर पर आगया. यह एक छोटी झील हैं. जो की मेहरान गढ़ किले के नीचे बनी हुई हैं.
गुलाब सागर का निर्माण जोधपुर के नरेश विजय सिंह की पासवान गुलाब राय ने सन 1788 में करवाया था। इससे पहले वहां प्राचीन बावड़ी थी। गुलाबराय पासवान महाराजा विजयसिंह की वैसी ही चहेती थी जैसी 18वीं शताब्दी के मराठा वीर पेशवा बाजीराव प्रथम की प्रेयसी मस्तानी थी। गुलाबराय भी मस्तानी की तरह अद्वितीय सुंदरी थीं और जोधपुर रियायत में उसका प्रभाव वैसा ही था जैसा मुगल साम्राज्य में जहांगीर के समय नूरजहां का। बुद्धिमान और सरल ह्रदय की गुलाब राय ने अपनी निर्णय शक्ति से जोधपुर में कई विकास कार्य करवाए। पानी की समस्या मिटाने के लिए परकोटे के भीतर गुलाब सागर बनवाया। उसने वैष्णव धर्म को अपना रखा था और राजा के माध्यम से पूरी रियासत में वैष्णव धर्मावलंबियों के नियम-उपनियम लागू कर रखे थे। राजमहल गुलाबराय के विरोध में था और यहां अकसर षडयंत्र बनने लगे। आखिर एक रात सरदारों ने गुलाबराय की हत्या करवा दी। गुलाब सागर को बनवाने में बेतहाशा पैसा खर्च किया गया था। इसमें पानी की आवक के लिए जोधपुर नरेश जसवंत सिंह के छोटे भाई और मारवाड़ के तत्कालीन प्रधानमंत्री सर प्रताप के निर्देश पर अंग्रेज इंजीनियर डब्ल्यू होम्स ने बालसमंद झील से नहरों का निर्माण करवाया था जिसके कारण गुलाब सागर में कभी पानी की कमी नहीं रही।
आसपास बने हैं मंदिर गुलाब सागर के दांयी तरफ लाल बाबा का भव्य वैष्णव मंदिर है जिसके कोनों में सुंदर झरोखे हैं। इसके पास रिद्धरायजी का मंदिर हैं। गुलाब सागर के बायीं तरफ राम मंदिर है जो निर्माण के बाद ही जमीन में धंस गया था इसलिए उसे धंसा हुआ मंदिर कहते हैं। पुल के दूसरी तरफ छोटा जलाशय है जिसे गुलाब सागर का बच्चा कहते हैं। इसे गुलाब राय के पुत्र शेर सिंह की मेमोरी में 1835 में करवाया गया था। इसके पीछे गुलाब राय के महल के झरोखों में की नक्काशी भी देखनेलायक है।(साभार: दैनिक भास्कर)
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गुलाब सागर झील |
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पाल हवेली |
यह हवेली गुलाबसागर के किनारे पर बनी हुई हैं. पुरानी और ऐतिहासिक हवेली हैं. यह पाल हवेली १८ वी शताब्दी में बनी हुई हैं. मेहरान गढ़ किले से यह करीब एक किलोमीटर दूर हैं. घंटा घर से दो मिनट का रास्ता हैं. यह हवेली ठाकुर उम्मेद करण जी के परिवार से सम्बंधित हैं. अब यह हवेली एक होटल हैं. इसकी ऐतिहासिक बनावट और अन्दर का रहन सहन इसे बिलकुल अलग तरह का होटल बनाता हैं. और जोधपुर के पुराने राजसी समय की याद दिलाता हैं.
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पाल हवेली |
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सरदार मार्केट का गेट
पाल हवेली से मैं घूमता हुआ सरदार मार्केट की और आ गया. बहुत बड़ा और व्यस्त बाज़ार हैं. सरदार सिंह के नाम पर ही इसका नाम सरदार मार्किट पड़ा. इसमें एक और एक विशाल दरवाजा हैं. और आगे जाकर घंटा घर हैं. इस बाज़ार में खाने पीने की बहुत सी दुकाने हैं. खरीदारी करने के लिए भी बहुत कुछ हैं. यह बाज़ार और घंटा घर मेहरानगढ़ के साये में बसा हुआ हैं. नीचे से देखने पर किला ऊपर छाया हुआ दीखता हैं.
घंटा घर जिसे क्लॉक टावर (Clock tower) के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण जोधपुर के "सरदार सिंह" ने करवाया था। इसमें लोग खरीददारी करने के लिए आते हैं तथा यहाँ कई प्रकार की कीमती वस्तुएँ मिलती है। यहाँ पर देश विदेश के लोग आते रहते हैं।
पहले लोग घंटाघर के ऊपर नही जा सकते थे लेकिन अब मात्र १० रुपय के टिकिट से आप घंटाघर के ऊपर जाकर वहाँ से बाज़ार, शहर, मेहरानगड़ क़िले को अच्छे से देख सकते है साथ ही वहाँ की घड़ी कैसे काम करती है जान
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अति व्यस्त घंटाघर का बाज़ार |
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घंटाघर |
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ऊपर किला नीचे बाज़ार |
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सूर्यदेव के साए में घंटाघर |
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घंटाघर बाज़ार और किला |
घंटाघर के आसपास कुछ खाने पीने के बाद मैं अपने होटल की और चल पड़ा. शाम ढलने लगी थी. मैं भी थक गया था. आराम के मूड में था. होटल में जाकर के एक घंटा आराम किया. फिर होटल की छत पर जाकर के ऊपर से जोधपुर नगर और किले के कुछ फोटो लिए.
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MEHRANGARH FORTE IN NIGHT - JODHPUR |
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SOJATI GATE - JODHPUR |
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JODHPUR CITY IN NIGHT |
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MEHRAN GARH IN NIGHT |
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ANOTHER VIEW SOJATI GATE - JODHPUR
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फोटो लेने के बाद मैं होटल से नीचे सोजती गेट पर आ गया. यंहा पर एक गणेश जी का मंदिर बना हुआ हैं. और आसपास खाने पीने के लिए बहुत से स्टाल लगते हैं. हर तरह का फ़ास्ट फ़ूड और सैंडविच यंहा पर उपलब्ध हैं. कुछ पेट पूजा करके और इधर उधर घूम कर के मैं अपने कमरे में आकर लम्बी तान कर सो गया.
Its Great and Amazing content thanks for sharing with us
ReplyDeleteCab Service in Jodhpur