A HOLY TRAVELL TO KANGDA VALLEY HIMACHAL - MA BAGLAMUKHI DHAM - 10
एक हिमाचल यात्रा हमारी जुलाई २०१९ में हुई थी जिसके बारे में मैंने पिछले एपिसोड में लिखा हैं. दूसरी हिमाचल यात्रा फरवरी २०२० में हुई थी. जिसमे मनोहर सिंह साथ थे. बाकी की यात्रा तो पिछली जैसी थी पिछली बार माता बगलामुखी के दर्शन नहीं कर पाए थे. तो इस बार माता के दर्शन करना तो आवश्यक था. इस बार माता बगलामुखी की यात्रा अलग से की थी. रुके तो हम लोग उसी सूद भवन में. सबसे पहले सुबह जल्दी निकल कर ज्वाला जी पहुंचकर दर्शन किये. फिर ज्वाला जी से बनखंडी आ गए. बनखंडी से माता बगलामुखी मंदिर ७ किलोमीटर पड़ता हैं. बस से उतरकर मंदिर परिसर के बाहर आ गए. मंदिर विशाल परिसर में हैं. यंहा पर माता को पीले रंग की बर्फी का प्रसाद अर्पित होता हैं. बाहर एक प्रसाद की दूकान से प्रसाद लिया. और मंदिर परिसर में आ गए.
हिमाचल प्रदेश देवताओं व ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है। कांगड़ा जनपद के कोटला क़स्बे में स्थित माँ श्री बगलामुखी का सिद्ध शक्तिपीठ है। वर्ष भर यहाँ श्रद्धालु मन्नत माँगने व मनोरथ पूर्ण होने पर आते-जाते रहते हैं। माँ बगलामुखी का मंदिर ज्वालामुखी से 22 किलोमीटर दूर 'वनखंडी' नामक स्थान पर स्थित है। मंदिर का नाम 'श्री 1008 बगलामुखी वनखंडी मंदिर' है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर कांगड़ा हवाईअड्डे से पठानकोट की ओर 25 किलोमीटर दूर कोटला क़स्बे में पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के चारों ओर घना जंगल व दरिया है। यह मंदिर प्राचीन कोटला क़िले के अंदर स्थित है।
बगलामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जनपद के कोटला क़स्बा में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। बगुलामुखी का यह मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है। पांडुलिपियों में माँ के जिस स्वरूप का वर्णन है, माँ उसी स्वरूप में यहाँ विराजमान हैं। ये पीतवर्ण के वस्त्र, पीत आभूषण तथा पीले रंग के पुष्पों की ही माला धारण करती हैं। 'बगलामुखी जयंती' पर यहाँ मेले का आयोजन भी किया जाता है। 'बगलामुखी जयंती' पर हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों से लोग आकर अपने कष्टों के निवारण के लिए हवन, पूजा-पाठ करवाकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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मंदिर परिसर का मुख्य द्वार व लहराता हुआ पवित्र ध्वज |
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मंदिर परिसर का मुख्य द्वार |
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मनोहर सिंह माता के मंदिर में |
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मंदिर में मै |
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मंदिर परिसर में हनुमान जी का मंदिर |
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नीचे उतरकर शिव जी का मंदिर है
मंदिर परिसर से नीचे उतरकर एक भगवान् शिव का सुन्दर मंदिर हैं. जिसमे विशाल शिवलिंग बना हुआ हैं. इस शिवलिंग का नित्य श्रृंगार होता हैं.
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मंदिर परिसर में पवित्र शिवलिंगम
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मंदिर परिसर में पवित्र शिवलिंगम |
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शिव मंदिर परिसर |
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माँ बगलामुखी विशाल मंदिर परिसर |
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माँ बगलामुखी विशाल मंदिर परिसर
मंदिर परिसर में कई मंदिर, यज्ञशाला, भंडारा हाल, धर्मशाला, गिफ्ट शॉप रेस्टोरेंट बने हुए .
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मंदिर परिसर |
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मंदिर परिसर |
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मंदिर का हाळ
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मंदिर का हाळ |
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हनुमान जी |
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माता के मंदिर के गर्भ गृह का द्वार |
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माता की पवित्र प्रतिमाये |
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गर्भ गृह के द्वारपाल, एक और हनुमान जी व एक और भैरवनाथ जी |
यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में की गई थी, जिसमें सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की गई थी। कालांतर से ही यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। वर्ष भर असंख्य श्रद्धालु, जो ज्वालामुखी, चिंतापूर्णी, नगरकोट इत्यादि के दर्शन के लिए आते हैं, वे सभी इस मंदिर में आकर माता का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है, जहाँ लोग माता के दर्शन के उपरांत शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं।
माता बगलामुखी का दस महाविद्याओं में 8वाँ स्थान है तथा इस देवी की आराधना विशेषकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए की जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता बगलामुखी की आराधना सर्वप्रथम ब्रह्मा एवं विष्णु ने की थी। इसके उपरांत परशुराम ने माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्धों में शत्रुओं को परास्त करके विजय पाई थी।
बगलामुखी जयंती पर मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्व है, जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है। द्रोणाचार्य, रावण, मेघनाद इत्यादि सभी महायोद्धाओं द्वारा माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्ध लड़े गए। नगरकोट के महाराजा संसार चंद कटोच भी प्राय: इस मंदिर में आकर माता बगलामुखी की आराधना किया करते थे, जिनके आशीर्वाद से उन्होंने कई युद्धों में विजय पाई थी। तभी से इस मंदिर में अपने कष्टों के निवारण के लिए श्रद्धालुओं का निरंतर आना आरंभ हुआ और श्रद्धालु नवग्रह शांति, ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति सर्व कष्टों के निवारण के लिए मंदिर में हवन-पाठ करवाते हैं।
मंदिर की प्रबंधन समिति द्वारा श्रद्धालुओं के लिए व्यापक स्तर पर समस्त सुविधाएँ उपलब्ध करवाई गई हैं। लंगर के अतिरिक्त मंदिर परिसर में पेयजल, शौचालय, ठहरने की व्यवस्था तथा हवन इत्यादि करवाने का विशेष प्रबंध है।
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मंदिर में यज्ञ करने का स्थान
मंदिर में पवित्र यज्ञ करने के स्थान हैं. यंहा पर श्रद्धालु यज्ञ कराते है. जिन लोगो की मनोकामनाए पूरी हो जाती हैं वह भंडारे व यज्ञ करते हैं. इस समय भी यज्ञ व भंडारे चल रहे थे.
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मनोहर सिंह जी
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भैरो बाबा |
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माता के चरणों में |
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कुछ सोच रहा हूँ |
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अबे क्या हुआ भाई |
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बाहर से मंदिर का दृश्य
मंदिर में दर्शन करने और कुछ समय बिताने पश्चात हम लोग बाहर आ गए. और बस की प्रतीक्षा करने लगे. थोड़ी देर में कांगड़ा की बस आ गयी. कांगड़ा की और चल पड़े. कांगड़ा पहुंचकर फिर से माता के दर्शन किये. हमारा सौभाग्य था कि जिस समय हम मंदिर में पहुंचे उस समय माता का श्रृंगार चल रहा था. माता की आरती शुरू हो गयी थी. गर्भ गृह में आरती में भाग लिया. प्रसाद ग्रहण किया. मेरी तबियत उस समय कुछ खराब चल रही थी चक्कर आ रहे थे मैं आरती से पहले बाहर आकर बैठ गया. मैंने माता से प्रार्थना की कि मुझे आरती में खड़े होने का सौभाग्य मिल जाए. माता ने मेरी सुनली थोड़ी देर के लिए मेरी तबियत ठीक हुई और मै आरती में खड़ा हो गया. जय माता की
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रात के समय माँ बज्रेश्वरी देवी का मंदिर - KANGDA HIMACHAL |
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रात के समय माँ बज्रेश्वरी देवी का मंदिर - KANGDA HIMACHAL |
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रात के समय मंदिर परिसर |
आज रात कांगड़ा में रुक कर हम लोग अगले दिन चामुंडा जी के लिए निकल गए थे. वंहा से आकर पठानकोट पहुँच गए थे. और रात को ट्रेन पकड़कर मुज़फ्फरनगर आ गए थे. हिमाचल कांगड़ा घाटी की यात्रा का वृत्तान्त यंही समाप्त करता हूँ जय माता की
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